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धर्म डेस्क। माघ मेला जिसे ‘मिनी कुंभ’ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक आयोजन है। यह हर साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम तट पर आयोजित होता है।
मान्यता है कि माघ माह में इस संगम पर स्नान करने से सभी पापों का क्षय होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान कल्पवास, दान और तपस्या का विशेष महत्व बताया गया है।
पंचांग गणना के अनुसार, माघ मेला 2026 की शुरुआत 3 जनवरी को पौष पूर्णिमा से होगी।
इसका समापन 15 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा।
पौष पूर्णिमा स्नान - 3 जनवरी
मकर संक्रांति स्नान - 14 जनवरी
मौनी अमावस्या स्नान - 18 जनवरी
वसंत पंचमी स्नान - 23 जनवरी
माघी पूर्णिमा स्नान - 1 फरवरी
महाशिवरात्रि स्नान - 15 फरवरी
मान्यता है कि माघ मास में देवता स्वयं पृथ्वी पर अवतरित होकर प्रयागराज संगम में स्नान करते हैं। इसलिए इस पवित्र संगम में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस अवधि में कई श्रद्धालु एक माह तक संगम किनारे रहकर कल्पवास करते हैं। इसे तप, त्याग और सात्विक जीवन का मार्ग माना जाता है, जिससे अक्षय पुण्य मिलता है।
पूरे माघ महीने में तिल, गुड़, कंबल और भोजन का दान विशेष रूप से शुभ माना गया है।