
Maha Shivratri 2023: देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में आठवां है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, जो महाराष्ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। गोदावरी नदी के किनारे त्र्यंबकेश्वर मंदिर ब्रह्मगिरि पर्वत के तलहटी पर बना है, जहां महाराष्ट्र की सबसे लम्बी नदी का उद्गम स्थान है। त्र्यंबक शब्द का अर्थ है 'त्रिदेव' (भगवन ब्रह्मा, विष्णु, महेश)। इसकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इस ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही विराजित हैं। मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक माना जाता है।
यह मंदिर काले पत्थरों से बना है और बीस से पच्चीस फुट की पत्थर की दीवार से बना है। शिवपुराण में वर्णन है कि गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने निश्चय किया और त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए। मंदिर की शुरुआत में एक सफेद संगमरमर से बना नंदी है। नंदी भगवान शिव शंकर का वाहन है। नंदी मंदिर के बाद, "सभा मंडप" आता है और फिर मुख्य मंदिर है, जहाँ लिंग स्थित है।
महाराष्ट्र के नासिक शहर से २८ किलोमीटर दूर त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर है। इस भव्य मंदिर के निर्माण को लेकर कहा जाता है कि इसका निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी बाजीराव ने लगभग (1740-1760) के आसपास एक पुराने मंदिर के स्थान पर कराया था। कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाने में करीब 16 लाख रुपये खर्च हुए थे। मंदिर के परिसर में ब्रह्मगिरि पर्वत और कुशावर्त कुंड है। कुशावर्त कुंड श्रीमंत सरदार रावसाहेब पार्नेकर द्वारा निर्मित है, जो इंदौर शहर के फडणवीस के नाम से जाने जाते थे।
माना जाता है कि अन्य मंदिर के तुलना में त्र्यंबकेश्वर में पूजा करने से अधिक लाभ होता है। मंदिर के खुलने और बंद होने का समय सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक है। विभिन्न अनुष्ठान जैसे नारायण नागबली, कालसर्प पूजा, महामृत्युंजय मंत्र जाप, त्रिपिंडी श्राद्ध, कुंभ विवाह, रूद्राभिषेक आदि किये जाते हैं। इस मंदिर में प्रवेश से पहले यात्री कुशावर्त कुंड में नहाते हैं। यहां हर सोमवार के दिन भगवान त्र्यंबकेश्वर की पालकी निकाली जाती है। ये पालकी कुशावर्त ले जाई जाती है और फिर वहां से वापस लाई जाती है। सिंहस्थ कुंभमेला इसी कुशावर्त तीर्थ पर संपन्न होता है।
वैसे तो यहां सालों भर जाता जा सकता है, लेकिन मौसम के लिहाज से अक्टूबर से मार्च के बीच यहां की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। गर्मियों के मौसम में यहां जाने से बचें। अगर आप त्र्यंबकेश्वर की यात्रा सड़क मार्ग से करने जा रहे हैं तो यह ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक शहर से 30 किलोमीटर, और नासिक रोड से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पुणे से यह मंदिर 240 किलोमीटर और औरंगाबाद से 210 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है।