नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से श्रावण मास में सोमवार को भगवान महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। भगवान महाकाल चांदी की नई पालकी में सवारी होकर नगर भ्रमण करेंगे। परंपरा अनुसार शाम 4 बजे राजसी वैभव के साथ सवारी शुरू होगी, जो निर्धारित मार्गों से होकर शाम 5.15 बजे मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। यहां पुजारी शिप्रा जल से अवंतिकानाथ का अभिषेक कर पूजा अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात सवारी मंदिर के लिए रवाना होगी तथा शाम 7.15 बजे पुन: मंदिर पहुंचेगी। इसके बाद भगवान महाकाल की संध्या आरती की जाएगी।
ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा के अनुसार सवारी से पहले दोपहर 3.30 बजे मंदिर के सभा मंडप में कलेक्टर रौशन कुमार सिंह भगवान महाकाल के मनमहेश रूप का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना करेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी अवंतिकानाथ को सलामी देगी। इसके बाद कारवां शिप्रा तट की ओर रवाना होगा। सवारी में सबसे आगे पुलिस का अश्वरोही दल, पुलिस बैंड, सशस्त्र बल की टुकड़ी, भस्म रमैया भक्त मंडल का झांझ डमरू दल तथा विभिन्न भजन मंडल शामिल रहेंगे।
सवारी में एलईडी रथ भी शामिल रहेगा। इसमें लाइव बाक्स के माध्यम से पालकी में विराजित भगवान महाकाल व सवारी का सजीव प्रसारण किया जाता रहेगा। मंदिर समिति इंटरनेट माध्यमों पर भी सवारी का लाइव प्रसारण करेगी।
भगवान महाकाल की पहली सवारी में धर्म के साथ लोक संस्कृति के रंग भी नजर आएंगे। मध्य प्रदेश की विभिन्न जनजाति के कलाकार प्रस्तुति देते निकलेंगे। भक्तों को प्रमुख रूप से घासी जनजाति का घसियाबाजा नृत्य, गोंड जनजाति का गुन्नूरसाई नृत्य, कोरकू जनजाति का ढांडल नृत्य तथा सैरा लोक नृत्य देखने का अवसर प्राप्त होगा।