Mahakal Mandir: महाकाल मंदिर की भस्म आरती में विश्वभर के लोग होते हैं शामिल, लेकिन कोई राजा नहीं रुक सकता रात, जानें कारण
mahakal temple उज्जैन में लंबे समय से एक मान्यता प्रचलित है, कि यहां कोई भी मुख्यमंत्री रात नहीं गुजार सकता है। अगर वह ऐसा करता है तो उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ता है। महाकाल ज्योतिर्लिंग में भोलेनाथ का दक्षिणामुखी शिवलिंग है, जो कि सभी ज्योतिर्लिंगों से अलग है।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Tue, 11 Oct 2022 08:35:47 AM (IST)
Updated Date: Tue, 11 Oct 2022 08:35:47 AM (IST)

Mahakal Mandir: 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां भस्म आरती की जाती है। मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर की भस्म आरती विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां हर दिन बाबा महाकाल को भस्म से श्रृंगार कर आरती की जाती है।
हालंकि भस्म आरती को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि प्राचीन समय से बाबा महाकाल को चिता की भस्म चढ़ाई जाती थी, लेकिन अब यहां उपलों से विशेष भस्म बनाकर चढ़ाई जाती है। 11 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी यहां महाकाल लोक का लोकार्पण करेंगे. तो आइए जानते हैं महाकाल मंदिर और भस्म आरती से संबंधित कुछ रोचक बातें-
संहार के देवता है शिव
शिव को संहार के देवता कहा जाता है। महाकाल में भस्म आरती और भोलेबाबा के भस्म धारण करने के पीछे एक संदेश देते हैं, कि जब भी इस मायारुपी संसार का विनाश होगा तब सभी जीवों की आत्माएं स्वयंभू शिव में समाहित हो जाएगी।
बता दें कि भस्म आरती में उपलों के साथ ही पलाश, बड़, शमी, पीपल, अमलतास, बैर के पेड़ की लकडि़यां उपयोग की जाती है। पूरी प्रक्रिया के दौरान मंत्रोच्चारण किया जाता है और. फिर इसे एक साफ कपड़े से छानकर बाबा का श्रृंगार किया जाता है।
तीन भागों में बंटा है महाकाल मंदिर
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मुख्यत: तीन भागों में बंटा हुआ है। जिसके ऊपरी भाग में नागचंद्रेश्वर मंदिर, मध्य भाग में ओंकारेश्वर मंदिर और निचले भाग में बाबा महाकाल विराजमान हैं। साथ ही बता दें की महाकाल ज्योतिर्लिंग में भोलेनाथ का दक्षिणामुखी शिवलिंग है, जो कि सभी ज्योतिर्लिंगों से अलग है।
कोई मंत्री नहीं रुकता रात
उज्जैन में लंबे समय से एक मान्यता प्रचलित है, कि यहां कोई भी मुख्यमंत्री रात नहीं गुजार सकता है। अगर वह ऐसा करता है तो उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन के राजाधिराज हैं और यहीं कारण है कि महाकाल के दरबार में एक साथ दो राजा नहीं रूक सकते हैं।