
धर्म डेस्क। मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2026) हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला पर्व है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और खरमास समाप्त होने के साथ ही शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाती है।
साल 2026 में मकर संक्रांति और षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2026) का एक साथ आना इसे और भी खास बना रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह एक दुर्लभ संयोग है, जिसमें सूर्य देव और भगवान विष्णु दोनों की कृपा एक साथ प्राप्त होती है।
14 जनवरी 2026 को षटतिला एकादशी है और इसी रात सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे। एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है, जबकि संक्रांति सूर्य देव की उपासना का पर्व है।
इस विशेष संयोग में किया गया स्नान, दान और जप सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक फलदायी माना जाता है। इस दिन तिल का विशेष महत्व है तिल के दान और सेवन से पापों का नाश होता है और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति 2026 के दिन दान-पुण्य का शुभ समय दोपहर 03:07 बजे से शाम 06:02 बजे तक रहेगा। इस अवधि में दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
तिल और गुड़ - तिल का दान करने से सूर्य और शनि दोष शांत होते हैं।
खिचड़ी - चावल और मूंग दाल से बनी खिचड़ी का दान ग्रह दोषों को कम करता है।
गर्म कपड़े - जरूरतमंदों को कंबल या गर्म वस्त्र देने से पुण्य फल मिलता है।
घी - गाय के शुद्ध घी का दान करियर और आर्थिक उन्नति में सहायक माना गया है।
रेवड़ी और मूंगफली - इनका दान रिश्तों में मधुरता बढ़ाता है।
सुबह जल्दी उठकर जल में काले तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
सूर्य देव को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें और 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें।
भगवान विष्णु को तिल के लड्डू का भोग लगाएं।
स्वयं खिचड़ी का सेवन करें और जरूरतमंदों को दान दें।
इस प्रकार, मकर संक्रांति 2026 पर षटतिला एकादशी का यह शुभ संयोग आध्यात्मिक उन्नति, पुण्य लाभ और सुख-समृद्धि दिलाने वाला माना जा रहा है।