
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। मार्गशीर्ष पूर्णिमा आज मनाई जा रही है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि पूर्णिमा का दिन चंद्रमा से खास संबंध रखता है, क्योंकि इस रात को चंद्रमा पूर्ण कला से निपुण होता है। कहा जाता है कि चंद्रमा की यह पूर्णता पृथ्वी के वातावरण में विशेष सकारात्मक ऊर्जा लाती है। यही कारण है कि यह तिथि पूजा, दान और धार्मिक कर्मों के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्र देव के साथ-साथ भगवान विष्णु की आराधना का विशेष विधान है।
शास्त्रों के मुताबिक इस पावन तिथि पर की गई पूजा से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं। दुख और बाधाएं कम होती हैं। मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। सनातन पंरपरा में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। भगवान श्री विष्णु की कृपा बरसाने वाली मार्गशीर्ष या फिर कहें अगहन मास की पूर्णिमा इस साल आज है।
इस अवसर पर स्नान के बाद पितरों के लिए तर्पण, दान आदि करना पुण्य फलदायी होता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा का समयव्रत, स्नान और दान के लिए उदयातिथि की मान्यता है, लेकिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा की उदयातिथि इस बार प्राप्त नहीं हो रही है। चार दिसंबर को सुबह 8:37 बजे सूर्योदय के बाद मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हुई है और पांच दिसंबर को सूर्योदय से पहले 4:43 बजे ही खत्म हो जा रही है। ऐसे में आपको मार्गशीर्ष पूर्णिमा के चंद्रोदय पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इस दिन पूर्णिमा के चांद को अर्घ्य दिया जाता है।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भद्रा का आरंभ सुबह 8 बजकर 36 मिनट पर होगा और शाम 6 बजकर 41 मिनट तक जारी रहेगा। हालांकि इस तिथि पर भद्रा का प्रभाव धरती लोक पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इस दिन भद्रा का वास स्वर्ग लोक में रहने वाला है। इसलिए इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।