राजेश वर्मा, नईदुनिया, उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर अपनी विशिष्ट पूजन परंपरा तथा विलक्षण वास्तुकला के कारण तो विश्वविख्यात है ही, अद्भुत रहस्यों के कारण भी 12 ज्योतिर्लिंगों में विशिष्ट पहचान रखता है। मंदिर के गर्भगृह में महाकालेश्वर, मध्य में ओंकारेश्वर तथा शीर्ष पर श्री नागचंद्रेश्वर (Nagchandreshwar Temple Darshan) विराजित हैं। महाकाल व ओंकारेश्वर के दर्शन तो वर्षभर होते हैं, लेकिन नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी (Nag Panchami 2025) के दिन ही खोले जाते हैं।
मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान नागचंद्रेश्वर के आसपास तक्षक नाग (Takshak Nag) का पहरा रहता है, इसलिए पट वर्षभर बंद रहते हैं। साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन पट खोलने व पूजा-अर्चना की परंपरा है। मंदिर की पूजन परंपरा महानिर्वाणी अखाड़े के पास है। गादीपति महंत विनीतगिरि महाराज ने बताया कि नागचंद्रेश्वर (Ujjain Nagchandreshwar Temple) देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो वर्षभर बंद रहता है। साल में सिर्फ एक बार सिर्फ नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए मंदिर के पट खोले जाते हैं।
पारंपरिक पूजा अर्चना के बाद भक्तों को दर्शन का अवसर मिलता है। पर्व संपन्न होने के बाद पट बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद सालभर मंदिर की सीढ़ियों के मुख्य द्वार पर भगवान की प्रतीकात्मक पूजा-अर्चना कर दी जाती है। मंदिर के शिखर पर ध्वज आरोहण करने जाते समय दूर से ही स्थूल रूप में भगवान को पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
नागचंद्रेश्वर मंदिर (Ujjain Nagchandreshwar Temple) में भक्तों को नागदेवता के एक साथ दो रूपों में दर्शन होते हैं। मंदिर के अग्रभाग में भगवान नागचंद्रेश्वर स्वयं अपने सात फनों से सुशोभित हो रहे हैं। सर्पासन पर भगवान शिव व पार्वती भी विराजित हैं।
बताया जाता है 11 वीं शताब्दी में निर्मित इस अद्भुत दिव्य प्रतिमा को नेपाल से यहां लाया गया है। इस प्रकार की विश्व में दूसरी कोई प्रतिमा नहीं है। इनके दर्शन के बाद भक्त मंदिर के भीतर प्रवेश करते हैं, जहां नागचंद्रेश्वर शिवलिंग रूप में विराजित है। भक्त इनका जलाभिषेक व दर्शन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं।
मंदिर प्रशासक एडीएम प्रथम कौशिक ने बताया सोमवार रात 12 बजे श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खुलेंगे। पश्चात महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान नागचंद्रेश्वर की प्रथम पूजा की जाएगी। रात करीब 12.40 बजे से आम दर्शन का सिलसिला शुरू होगा, जो मंगलवार रात 12 बजे तक चलेगा। मंगलवार दोपहर 12 बजे शासकीय तथा शाम 7.30 बजे भगवान महाकाल की आरती के बाद मंदिर समिति की ओर से पूजा अर्चना की जाएगी।