Navratri 2021 Timings: देवी मां की आराधना का पर्व आने को है। इस साल शारदीय नवरात्रि गुरुवार 7 अक्टूबर, 2021 से शुरू हो रही है, जो कि शुक्रवार 15 अक्टूबर, 2021 को संपन्न होगी। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस दौरान रोज देवी मां की उपासना देश भर में की जाएगी। भक्तगण उपवास रखेंगे एवं विधि-विधान से व्रत, नियम का पालन करेंगे। यहां हम आपको दुर्गा पूजा की कलश स्थापना के मुहूर्त से लेकर रोज की जाने वाली पूजा एवं पर्व का महत्व सहित पूजा विधि, सामग्री के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
शारदीय नवरात्रि दुर्गा पूजा कलश स्थापना
– गुरुवार, 7 अक्टूबर, 2021 को घटस्थापना मुहूर्त – 06:06 से 10:03
अवधि – 03 घण्टे 57 मिनट
अभिजित मुहूर्त – 11:38 से 12:25 -अवधि – 00 घण्टे 47 मिनट्स प्रारम्भ – अक्टूबर 06, 2021 को 16:34 बजे-समाप्त – अक्टूबर 07, 2021 को 13:46 बजे
नवरात्र में अखंड ज्योत का महत्व: अखंड ज्योत को जलाने से घर में हमेशा मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। नवरात्र में अखंड ज्योत के कुछ नियम होते हैं जिन्हें नवरात्र में पालन करना होता है। परंम्परा है कि जिन घरों में अखंड ज्योत जलाते है उन्हें जमीन पर सोना होता है।
शारदीय नवरात्रि 2021 तिथियां-
7 अक्टूबर, 2021 (पहला दिन) – मां शैलपुत्री की पूजा
8 अक्टूबर, 2021 (दूसरा दिन) – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
9 अक्टूबर, 2021 (तीसरा दिन) – मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा
10 अक्टूबर, 2021 (चौथा दिन) – मां स्कंदमाता की पूजा
11 अक्टूबर, 2021 (पांचवां दिन) – मां कात्यायनी की पूजा
12 अक्टूबर, 2021 (छठवां दिन) – मां कालरात्रि की पूजा
13 अक्टूबर, 2021 (सातवां दिन) – मां महागौरी की पूजा
14 अक्टूबर, 2021 (आठवां दिन) – मां सिद्धिदात्री की पूजा
15 अक्टूबर, 2021 दशमी तिथि ( व्रत पारण), विजयादशमी या दशहरा
कलश स्थापना और पूजन के लिए महत्त्वपूर्ण वस्तुएं
- मिट्टी का पात्र और जौ के 11 या 21 दाने।
- शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमे पत्थर नहीं हो।
- शुद्ध जल से भरा हुआ मिट्टी , सोना, चांदी, तांबा या पीतल का कलश।
- मोली (लाल सूत्र) अशोक या आम के 5 पत्ते कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन साबुत चावल एक पानी वाला नारियल।
- पूजा में काम आने वाली सुपारी कलश में रखने के लिए सिक्के।
- लाल कपड़ा या चुनरी,मिठाई,लाल गुलाब के फूलो की माला।
इस मंत्र का जाप करें
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः, नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः