धर्म डेस्क, इंदौर। Nirjala Ekadashi 2024: धर्मग्रंथों के अनुसार, पूरे वर्ष की 24 एकादशी में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को सर्वश्रेष्ठ एकादशी माना जाता है। प्रत्येक वर्ष भीषण गर्मी के मध्य पड़ने वाली एकादशी के दिन बिना जल पिए और बिना अन्न ग्रहण किए व्रत रखने की मान्यता है। इसी कारण इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। पांडव पुत्र भीम ने बिना जल पिए व्रत रखा था, इसलिए निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है। इस साल 17 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जा रहा है।
महामाया मंदिर के पुजारी भागवताचार्य पं.मनोज शुक्ला के अनुसार, पुराणों में उल्लेखित है कि देवर्षि नारद मुनि ने पांडवों से श्रेष्ठ फल की प्राप्ति के लिए पूरे वर्ष पड़ने वाली एकादशी का व्रत रखने की राय दी थी। चूंकि पांडव पुत्र भीम को बहुत भूख लगती थी, वे दिनभर भूखे नहीं रह सकते थे। महर्षि नारद ने भीषण गर्मी वाले ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर बिना पानी पिए व्रत रखने कहा। भीमसेन ने दिनभर बिना अन्न, जल ग्रहण किए व्रत रखा। यह एकादशी भीम के व्रत रखने के कारण भीमसेनी एकादशी के रूप में प्रसिद्ध हुई।
ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत रखने से पूरे वर्ष में पड़ने वाली 24 एकादशियों का फल प्राप्त होता है। व्रत वाले दिन जल कलश, फल, अनाज,वस्त्र, गर्मी की तपन से बचाने जूता, छाता, पंखा का दान करने का विशेष महत्व है।
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