नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। अश्विन कृष्ण अष्टमी पर रविवार को हाथी अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। नईपेठ स्थित श्री गजलक्ष्मी माता मंदिर में सुबह माता गजलक्ष्मी का दुग्धाभिषेक होगा। शाम को महाआरती के उपरांत खीर महाप्रसादी का वितरण किया जाएगा। इस दिन कुल परंपरा अनुसार घरों में भी मिट्टी के हाथी के पूजन का विधान है। अश्विन कृष्ण अष्टमी पर कुछ महिलाएं संतान की दीर्घायु के लिए जिऊतिया व्रत भी करती हैं।
सम्राट विक्रमादित्य की राज लक्ष्मी कही जाने वाली माता गजलक्ष्मी के मंदिर में 31 अक्टूबर से मनाए जा रहे श्री महालक्ष्मी व्रत का 14 सितंबर हाथी अष्टमी पर समापन होगा। सुबह 9 बजे से 11 बजे तक माता गजलक्ष्मी का दुग्धाभिषेक किया जाएगा। पूजा अर्चना के उपरांत देवी का आभूषणों से दिव्य शृंगार किया जाएगा। दोपहर 12 बजे महाआरती के बाद दिनभर दर्शन का सिलसिला चलेगा। शाम 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक भजन संध्या होगी। रात 9 बजे माता की महाआरती के बाद खीर महाप्रसादी का वितरण किया जाएगा।
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दीपावली से पहले अश्विन मास में भी हाथी अष्टमी पर महालक्ष्मी के पूजन की मान्यता है। इस दिन महिलाएं सुख, समृद्धि की कामना से घरों में भी मिट्टी के हाथी का पूजन करती हैं। धर्मकथा के अनुसार द्वापर युग में महारानी गांधारी व पांडवों की माता कुंती भी संतान के कल्याण के लिए भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक गजलक्ष्मी का व्रत करती थीं, इसी के अंतर्गत हाथी का पूजन किया जाता है। नईपेठ स्थित गजलक्ष्मी मंदिर में भी व्रत की यह परंपरा अब भी प्रचलित है।