धर्म डेस्क, इंदौर (Hanuman Janmotsav 2025)। हनुमानजी का जन्मोत्सव 12 अप्रैल को धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर शहर-गांव के मंदिरों में भव्य कार्यक्रम हो रहे हैं। कई जगह सुंदरकांड पाठ (Sundar Kand Paath), हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) पाठ, अखंड मानस पाठ का आयोजन है। भंडारे का भी आयोजन है।
इस बीच, देश में हनुमानजी के कई मंदिर ऐसे हैं, जहां वे पंचमुखी रूप में विराज हैं। आखिर वीर हनुमान ने पांच मुख धारण क्यों किए? इसकी कथा रामायण में है।
प्रथम मुख: पंचमुखी अवतार में पूर्व दिशा में हनुमानजी का वानर मुख है। वानर मुख दुश्मनों पर विजय प्राप्त करता है और इससे आपसी सामंजस्य संबंध स्थापित होते हैं।
दूसरा मुख: पश्चिम दिशा में गरुड़ मुख है। यह अवतार जीवन में कष्ट को खत्म करता है ।
तीसरा मुख: उत्तर दिशा में वराह अवतार। यह विष्णु जी का अवतार है। वराह मुख की आराधना से लंबी आयु, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है।
चौथा मुख: दक्षिण दिशा में नृसिंह मुख। यह भी विष्णु अवतार का एक रूप है। जीवन में आ रही मुश्किलों, रुकावटों, तनाव से मुक्त करता है।
पांचवां मुख। यह अश्व मुख होता है। यह आकाश की ओर होता है अर्थात ऊपर की तरफ होता है। इस मुख की आराधना से मनोकामना की पूर्ति होती है।
हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर सभी लोगों को एक प्रण लेना चाहिए और साथ ही बच्चों को भी इस बात के लिए प्रेरित करें कि हनुमान चालीसा को मंत्र के रूप में जीवन में उतारें। हनुमान चालीसा वहां पढ़ें, जहां आप तनावग्रस्त हों।
हनुमान चालीसा की एक पंक्ति रामचरित सुनने को रसिया अर्थात हृदय में हनुमान चालीसा द्वारा भक्ति के असीम रस की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार, तंत्र और मंत्र, दोनों ही शक्ति स्वरूप हैं, लेकिन थोड़ा-सा फर्क है।
तंत्र में बाहर देवता को प्रसन्न करते हैं, सिद्धियां प्राप्त करते हैं, यह तांत्रिक क्रिया हुई। इससे किसी का अनिष्ट भी हो सकता है और शुभ भी होता है। मंत्र मन के भीतर जो आराध्य देव हैं, उन्हें जागृत कर मनोबल को बढ़ाते हैं। जिन्हें सांसारिक, पारिवारिक आत्मा से परमात्मा का मिलान करना होता है, वे मंत्र जाप करते हैं। संक्षिप्त में कहें तो तांत्रिक क्रियाएं युद्ध की तरह हैं और मंत्र क्रियाएं मन का विराम हैं, आत्मा से परमात्मा का मिलन हैं।
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