
धर्म डेस्क: सनातन परंपरा में प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का विशेष धार्मिक महत्व होता है। यह तिथि भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है। इसी दिन श्रद्धालु प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2026) रखते हैं और विधि-विधान से भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं।

मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से भक्तों पर शिव-शक्ति की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत का फल वार के अनुसार अलग-अलग माना गया है। शिव पुराण में प्रदोष व्रत की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है। आइए जानते हैं माघ मास में पड़ने वाले दोनों प्रदोष व्रत की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त।
सनातन धर्म में माघ महीने को अत्यंत पवित्र माना गया है। यह माह देवी मां गंगा को समर्पित है। माघ महीने में गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने प्रतिदिन गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से मौनी अमावस्या और माघ पूर्णिमा पर किया गया गंगा स्नान अत्यंत फलदायी माना जाता है। कहा जाता है कि माघ मास में गंगा स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और साधक पर मां गंगा की विशेष कृपा बनी रहती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुक्रवार 15 जनवरी को शाम 08 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ होगी और 16 जनवरी को रात 10 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस कारण 16 जनवरी 2026 को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 05 बजकर 47 मिनट से लेकर 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। आश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत शुक्रवार को पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 30 जनवरी को सुबह 11 बजकर 09 मिनट से आरंभ होगी और 31 जनवरी को सुबह 08 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 30 जनवरी 2026 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ समय शाम 05 बजकर 59 मिनट से रात 08 बजकर 37 मिनट तक निर्धारित है।