धर्म डेस्क। पुत्रदा एकादशी हर साल सावन महीने में मनाई जाती है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को पूर्णतया समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही संतान या पुत्र प्राप्ति के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से व्रती (दंपती) को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
सनातन शास्त्रों में निहित है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से एकादशी के दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। इस बार पुत्रदा एकादशी व्रत 05 अगस्त (Putrada Ekadashi 2025) को किया जाएगा। ऐसे में आइए इस लेख में जानते हैं कब और कैसे करें पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण।
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 04 अगस्त को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 05 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट पर होगा। ऐसे में पुत्रदा एकादशी व्रत 05 अगस्त को किया जाएगा और व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर किया जाएगा।
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ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात 12 बजे से 12 बजकर 40 मिनट तक
पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 06 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन व्रत का पारण करने का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट तक है।
इस दिन स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद मंदिर की सफाई करने के बाद पूजा-अर्चना करें। देसी घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें। मंत्रों का जप और विष्णु चालीसा का पाठ करें। इसके बाद सात्विक चीजों का भोग लगाएं। गरीब लोगों या मंदिर में दान करें।
1. ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
2. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी ।
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम ।
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।