VIDEO : राजपूत राजा ने की थी मां कालिका की स्थापना, दूर-दूर से दर्शन को आते हैं भक्त
रतलाम में विराजमान कालिकादेवी का मंदिर आस्था और उपासना का बड़ा तीर्थ है। मां कालिका की स्थापना रतलाम रियासत के राजपूत शासक ने की थी।
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Publish Date: Fri, 23 Mar 2018 08:44:09 AM (IST)
Updated Date: Fri, 23 Mar 2018 11:11:00 AM (IST)

रतलाम। मालवा की सरजमी पर देवी-देवताओं ने हमेशा भ्रमण किया है और कई जगहों पर कुछ समय के लिए विश्राम भी किया है। इसलिए इस क्षेत्र में चारों और देवी देवताओं के मंदिर स्थापित हैं। इन मंदिरों में ज्यादातर पौराणिक काल के हैं और रियासतकाल में राजा-महाराजाओं के द्वारा इनका जीर्णोद्धार किया है या नए सिरे से बनाया गया है।
नगरों और गांवों में स्थापित देवियां राजाओं से लेकर प्रजाजनों तक की कुलदेवी मानी जाती है। पौराणिक महत्व का एक ऐसा ही सिद्धक्षेत्र अपने नमकीन के लिए मशहूर शहर रतलाम में मौजूद है। रतलाम में विराजमान कालिकादेवी का मंदिर आस्था और उपासना का बड़ा तीर्थ है। मां कालिका की स्थापना रतलाम रियासत के राजपूत शासक ने की थी। शहर के अलावा दूर-दराज से लोग यहां पर माता के दर्शनों के लिए आते हैं।
मां कालिका के दरबार में चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान विशेष धार्मिक अनुष्ठान के साथ गरबारास का आयोजन होता है। इसमें हजारों महिलाएं, युवतियां, बालिकाएं सुबह-शाम गरबा रास कर मां की आराधना करती हैं। मां के दरबार में सभी धर्म-संप्रदाय के अनुयायी शीश नवाने पहुंचते हैं।
मंदिर में प्रवेश के लिए तीन तरफ से प्रवेश द्वार है। बाहरी परिसर में विशाल कुंड है, जिसे झाली तालाब के रूप में जाना जाता है। गर्भगृह में मां कालिका के साथ चामुंडा माताजी, अन्नपूर्णा माताजी, दक्षिण में गणेशजी की मूर्ति विराजित है।
मंदिर परिसर में संतोषी माता और शीतला माता, झूलेलाल, श्रीराम, महालक्ष्मीनारायण मंदिर है। शारदीय नवरात्रि में नगर निगम द्वारा मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें अनेक स्थानों के व्यापारी दुकानें लगाते हैं। निगम रंगमंच पर प्रतिदिन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।