Ramayan: लंकापति रावण का परिवार काफी बड़ा था और उसके पुत्र बलशाली होने के साथ पराक्रमी भी थे। रावण का सबसे प्रिय और महावीर पुत्र मेघनाद था जिसको इंद्रजीत भी कहा जाता है। रावण और भी पुत्र थे, जिसमें से एक का नाम अतिकाय था। अतिकाय भी रावण का पराक्रमी पुत्र था और उसने श्रीराम - रावण युद्ध में अपने पिता रावण की ओर से युद्ध किया था। अतिकाय का श्रीराम की सेना के साथ भीषण युद्ध हुआ था। स्वयं विभीषण ने लक्ष्मण से कहा था कि अतिकाय कुंभकर्ण से भी ज्यादा ताकत रखता है और इसको मारने के लिए दिव्यास्त्रों का प्रयोग करना पड़ेगा।
रावण की पत्नी धन्यमालिनी का बेटा था अतिकाय
अतिकाय रावण की दूसरी पत्नी धन्यमालिनी का बेटा था। लंकाकाण्ड में अतिकाय के वध का वर्णन मिलता है। जब श्रीराम की वानर सेना और राक्षस सेना के बीच युद्ध हुआ तो रावण ने युद्ध करने के लिए अपने चारों पुत्रों त्रिशिरा, देवान्तक, नरान्तक और अतिकाय को भेजा था। दोनों सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हुआ। श्रीराम की सेना के पराक्रमी योद्धा अंगद नें रावण के दो पुत्र नरान्तक, देवान्तक को मौत के घाट उतार दिया। महाबली हनुमान ने रावण के तीसरे पुत्र त्रिशिरा का अपनी गदा के प्रहार से सिर अलग करते हुए उसको यमलोक पहुंचा दिया।
रणभूमि में लक्ष्मण का अतिकाय से हुआ मुकाबला
लंकापति रावण की सेना पराजय के कगार पर पहुंच गई थी और सेना के सभी प्रमुख दैत्य मारे जा चुके थे तभी एक विशालकाय दैत्य रणक्षेत्र में आया और उसने वानर सेना में तबाही ला दी। उसके पराक्रम को देखकर श्रीराम ने विभीषण से पूछा कि यह विशालकाय दैत्य कौन है। विभीषण ने उसका परिचय देते हुए बताया कि यह रावण और धन्यमालिनी का पुत्र अतिकाय है। हे
रघुवर! इसका तुरंत वध करना जरूरी है नहीं तो यह वानर सेना को खत्म कर देगा। तभी अतिकाय श्रीराम के पास पहुंच गया औऱ उनके लिए अपमानजनक शब्दों का उपयोग करने लगा।
हे तुच्छ मनुष्यों! तुम दोनों भाई क्यों मेरे हाथों इन वानरों का नाश करवा रहे हो। इनको मारने में न तो मेरा पराक्रम है और न मेरी कीर्ति। इसलिए तुम दोनों में थोड़ा भी साहस है तो मेरे साथ युद्ध करों अन्यथा इन वानरों से युद्ध बंद करने के लिए कहकर लौट जाओ।
लक्ष्मण ने ब्रह्मशक्ति से किया वध
श्रीराम उसकी बातों को बगैर किसी प्रतिकार के सुन रहे थे, लेकिन लक्ष्मण को अतिकाय का इस तरह से श्रीराम को भला-बुरा कहना अच्छा नहीं लगा और वे क्रोधित हो गए।उन्होंने कहा कि हे राक्षस! तू जिस तरह से बढ़-चढ़कर बातें कर रहा है उतना वीर दिखाई नहीं दे रहा है। अभी मैं अपने बाणों से तेरा सिर धड़ से अलग कर देता हूं। अतिकाय ने लक्ष्मण पर एक जलता हुआ बाण छोड़ा। लक्ष्मण ने उसके सर्पाकार बाण को अपने अर्द्धचन्द्राकार बाण से काटते हुए दूसरा अग्निबान उसके मस्तक को लक्ष्य करके छोड़ा, जो सीधे उसके मस्तक मे जाकर लगा और खून बहने लगा, लेकिन वह संभलकर फिर से युद्ध करने लगा। तभी लक्ष्मण ने ब्रह्मशक्ति का उसके ऊपर प्रहार किया। जिससे उसका सिर धड़ से कटकर अलग हो गया।