
धर्म डेस्क, इंदौर। Sawan 2024: हिंदू धर्म का सबसे पवित्र महीना सावन 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलेगा। सावन का महीना शुरू होते ही कावड़ यात्रा भी शुरू हो जाएगी। इस अवधि के दौरान, लाखों की संख्या में कांवड़िए हरिद्वार, गोमुख, गंगोत्री, काशी विश्वनाथ, बैद्यनाथ आदि पवित्र स्थानों से जल लेने के लिए निकलते हैं। फिर वे इस जल को कांवड़ में ले जाते हैं और पास के शिव मंदिर के शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।
सावन में ज्यादातर कांवड़िए शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक करते हैं। भगवान शिव की आराधना के लिए ये महीना विशेष माना जाता है। आइए, जानते हैं कि सावन के महीने में कांवड़िए भगवान शिव पर जल क्यों चढ़ाते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, कांवड़ यात्रा की शुरुआत समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। कहा जाता है कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष पी लिया था, जिससे उनका पूरा शरीर जलने लगा। तब सभी देवताओं ने भगवान शिव को इस विष के प्रभाव से मुक्त कराने के लिए उनका जलाभिषेक किया। कहा जाता है कि यही से सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

शिव पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन सावन के महीने में हुआ था। मंथन के दौरान चौदह प्रकार के माणिक निकले और हलाहल (जहर) भी निकला। इस विष से संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने हलाहल विष पिया। भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में एकत्रित कर लिया, जिससे उनके कंठ में तेज जलन होने लगी।
ऐसा माना जाता है कि शिव भक्त रावण ने गले की जलन को कम करने के लिए भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक किया था। रावण ने कांवड़ में जल भरकर बागपत के पुरा महादेव में भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इसके बाद कांवड़ यात्रा का चलन शुरू हुआ।
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