नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर Sawan 2025: भक्तों को उम्मीद थी कि पवित्र सावन के महीने में अचलेश्वर मंदिर के गर्भगृह में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन हो सकेंगे, लेकिन चांदी के पत्रा चढ़ाने में दानदाताओं की अभिरुचि के कारण अब यह कार्य दीपोत्सव तक टल सकता है। अब तक दो पत्रों के लिए केवल 24 किलो चांदी ही वाराणसी भेजी गई है।
11 किलो चांदी दान में देने वाले श्रद्धालु ने उसमें भी पांच किलो चांदी के अखंड दीपक के लिए दी है। जबकि एक खंभे पर पत्रा चढ़ाने के लिए 35 किलो से अधिक चांदी की आवश्यकता होती है।
एक वर्ष में चांदी की जलहरी के साथ केवल दो खंभों पर चांदी का पत्रा चढ़ पाया है। नगरवासियों के आस्था का केंद्र अचलेश्वर मंदिर को अचलनाथ लोक के रूप में विकसित करने के लिए निरंतर निर्माण कार्य चल रहे हैं।
मंदिर में प्रांगण में दो दशक से पहले निर्मित रामदरबार के पत्थर की केमिकल और रेत से सफाई होने से दमकने लगा है। रामदरबार के ऊपर अत्याधुनिक सत्संग हाल का निर्माण हो चुका है। वहीं अत्याधुनिक रसोई का निर्माण कार्य चल रहा है।
सार्वजनिक प्याऊ के निर्माण का कार्य शुरू होना है। इसके साथ ही मंदिर के चारों द्वारों लकड़ी के बनने हैं।
श्री अचलेश्वर न्यास में विवाद के बाद कोर्ट के दिशा निर्देश पर मंदिर के संचालन के लिए उच्च न्यायालय के सेवा निवृत्त न्यायाधीश एनके मोदी की अध्यक्षता में समिति गठित की है। इसके सचिव एसडीएम लश्कर हैं। इस समिति ने पिछले सावन के महीने में जलहरी के निर्माण के चारों खंभों पर चांदी का पत्रा चढ़ाने का संकल्प लिया था। क्योंकि जलहरी के लिए श्रद्धालुओं ने अपेक्षा से अधिक चांदी दान करने में उत्साह दिखाया था। एक वर्ष में दो खंभों पर चांदी का पत्रा चढ़ चुका है, लेकिन खंभों के लिए चांदी दान में देने के लिए श्रद्धालुओं ने अधिक रुचि नही दिखाई है। जिससे यह कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा।
वाराणसी के कारीगरों द्वारा चांदी के पत्रा का निर्माण किया जा रहा है। दो खंभों के लिए 70 किलो चांदी की आवश्यकता है, लेकिन अभी भी 55 किलो चांदी आवश्यकता है। दानदाताओं के सामने नहीं आने पर संचालन समिति मंदिर के खाते से चांदी के पत्रा चढ़ाने का निर्णय ले सकती है। समिति के अध्यक्ष का कहना है कि कोशिश है कि जमा राशि की बजाय जनसहयोग से चांदी के पत्रा का निर्माण किया जाए।
सावन में चांदी के पत्रा चढ़ना अब मुश्किल है, क्योंकि अब तक केवल 24 किलो चांदी ही वाराणसी भेजी जा सकी है। दानदाताओं को चांदी दान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। - वीरेंद्र शर्मा, लेखाधिकारी