धर्म डेस्क। 11 जुलाई से शुरू हुआ सावन महीना 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन समाप्त होने जा रहा है। चारों सावन सोमवार के व्रत भी रखे जा चुके हैं, मंगला गौरी व्रत भी पूरे हो गए हैं। लेकिन अब भी भगवान शिव को प्रसन्न करने की एक विशेष तिथि बाकी है। वो है सावन का आखिरी प्रदोष व्रत. प्रदोष व्रत करने और इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने, पूजा करने से महादेव की अपार कृपा बरसती है।
प्रदोष व्रत शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए एक उत्तम तिथि है। इस दिन पर शिव जी की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विधिवत रूप से पूजन करने से साधके के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 6 अगस्त को देर रात 2 बजकर 8 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 7 अगस्त को देर रात 2 बजकर 27 मिनट होगा। ऐसे में सावन का आखिरी प्रदोष व्रत बुधवार 6 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन शिव जी की पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -
प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त - शाम 7 बजकर 8 मिनट से रात 9 बजकर 16 मिनट तक
प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर शिव-शक्ति की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत कहलाता है। इसी प्रकार दिन अनुसार प्रदोष व्रत का नाम दिया जाता है। बुध प्रदोष व्रत करने से मनचाही मुराद पूरी होती है।
सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक पर शिव-शक्ति की कृपा बरसेगी। उनकी कृपा से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त हर परेशानी दूर हो जाती है। इसके साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग भी सावन के आखिरी प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं।
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