Sawan Somvar: श्रावण के पहले सोमवार को MP के शिवालयों में लगे भोलेनाथ के जयकारे
सावन के पहले सोमवार का विशेष महत्व होता है। शिवालयों में भारी संख्या में लोग पहुंचे। इस दौरान मंदिरों पर अभिषेक किए गए। भोलेनाथ के दर्शनों के लिए इस मंदिर पर सुबह से ही लंबी कतारें लगी रहीं। मंदिर परिसरों में हर-हर महादेव की गूंज सुनाई दी। सुबह होते ही शिवालयों के कपाट खोले गए। पुजारियों ने विधिवत भगवान शिव का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और बिल्वपत्र अर्पण कर पूजन किया।
Publish Date: Mon, 14 Jul 2025 06:51:10 PM (IST)
Updated Date: Mon, 14 Jul 2025 07:38:15 PM (IST)
वनखंडेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए कतार में लगे श्रद्धालु। 41सी-पहाड़गढ़ में ईश्वरा महादेव पर दर्शनों के लिए लगीं कतारें।HighLights
- ईश्वरा, अलोपीशंकर, कोलेश्वर महादेव, पोरसा महाकाल मंदिर में दर्शन।
- सावन के पहले सोमवार को भक्तों ने किया अभिषेक, कांवड़ भी चढ़ाईं।
- प्रदेश भर के शिव मंदिरों पर कांवड़ चढ़ाने का भी पूरा दौर चलता रहा।
नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना। श्रावण मास के पहले सोमवार को शिवालयों में लोगों का तांता लगा रहे। श्रावण मास में भगवान भोले की आराधना का माना जाता है। मुरैना शहर की बात की जाए तो बड़ोखर स्थित महाकाल मंदिर, महादेव नाका गिर्राज धरण मंदिर, वनखंडेश्वर महादेव, पड़ाव के नर्मदेश्वर मंदिर पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। जहां विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। इस दौरान मंदिरों पर कांवड़ियों ने सोरों से लाकर कांवड़ भी चढ़ाईं। जिले भर में मंदिरों पर कांवड़ चढ़ाने का भी दौर चलता रहा।
पहाड़गढ़ के प्राकृतिक परिवेश में विराजे ईंश्वरा महादेव पर लगीं कतारें
पहाड़गढ़ के जंगलों में स्थित चमत्कारिक ईश्वरा महादेव मंदिर पर पहले सोमवार को हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। पूरी तरह से प्राकृतिक परिवेश में विराजे ईश्वरा महादेव का पहाड़ से निकली जलधारा निरंतर अभिषेक करती रहती है। वहीं जंगल क्षेत्र का अलौलिक स्वरूप देखने के लिए भी यहां पहुंचते हैं। मंदिर की खासियत है कि मंदिर पर सुबह तीन बजे से चार बजे के बीच कोई अलौलिक शक्ति आकर पूजा कर जाती है। आज तक इस रहस्य को कोई पता नहीं चला सका है। यहां शाम के बाद कोई पूजा नहीं करता, लेकिन हर सुबह शिवलिंग पर ताजा पुष्प और बेलपत्र चढ़े मिल जाते हैं मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग में रावण के भाई विभीषण ने यहां तपस्या की थी। इस जंगल में स्थित महादेव का स्वयंभू शिवलिंग है।
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अलोपी शंकर महादेव पर 450 सीढ़ियां चढ़कर किए दर्शन
- कैलारस में अलोपी शंकर महादेव पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। महादेव का मंदिर कैलारस कस्बे में पहाड़ पर मौजूद है। जहां तक पहुंचने के लिए लोगों को 450 से अधिक सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है।
- अलोपीशंकर महादेव की मान्यता दूर दराज तक है। जहां हर दिन सैंकड़ों लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते है।
- श्रावण माह का सोमवार विशेष हो जाता है। जिसकी वजह से लोगों ने यहां महादेव के अभिषेक किए। अलोपी शंकर महादेव की दो पिंडिंया है, जो एक ही जलहरी में है।
- पोरसा में महाकाल का 108 औषधियों से किया महाअभिषेक श्रावण मास के प्रथम सोमवार को शहर के सभी शिवालयों में भक्तों का ताता लगा रहा।
- जिसमें गिर्राज मंदिर, नागाजी मंदिर, बंसी वाले मंदिर पर सुबह पांच बजे से लोगों का पहुंचना शुरू हो गया। वहीं कस्बे के मुक्तिधाम स्थित महाकाल का 108 औषधीय से महाअभिषेक किया गया।
- श्रावण मास में भोलेनाथ की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है यूं तो सावन मास में श्रद्धालु की भक्ति अधिक होती हैं सबसे पहले महाकाल का जल अभिषेक हुआ।
- उसके बाद पंच द्रव्य दूध जल घी शहद दही आंवला, मेथी, पीपल, बरगद, वेल पत्र, गिलोय, चांदनी, पत्थर चट्टा, लाजवंती, शीशम, दूव, अजवाइन, सति कई औषधियों से अभिषेक किया गया। इसके बाद महाकाल की भस्म आरती भी की गई।
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सावन का पहला सोमवार: शिवभक्ति में लीन रहे श्रद्धालुगण, मंदिरों पर रही भीड़भाड़
- सावन के पहले दिन एक तरफ जहां भिंड जिले भर के शिवालयो में सुबह से ही भीड़भाड़ रही, वहीं दूसरी तरफ श्रद्धालुगण शिवभक्ति में लीन दिखाई दिए।
- विशेषकर वनखंडेश्वर महादेव, महाकालेश्वर, कुंडेश्वर महादेव, पिपल्लेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी गईं। वनखंडेश्वर मंदिर पर सुबह चार बजे से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था।
- दोपहर तक बढ़ी तादाद में श्रद्धालु पहुंच चुके थे। वहीं गौरी सरोवर किनारे स्थित कालेश्वर महादेव को महाकाल के वेश में सजाया गया।
- शिवभक्तों के अनुसार सावन के सोमवार में महाकाल के दर्शन करना बहुत ही लाभकारी होता है। इससे भक्तों की तमाम व्यवधाएं दूर होने के साथ सुख-समृद्धि आती है।
- मंदिरों पर भजन-कीर्तन प्रसाद वितरण:सावन के पहले सोमवार को मंदिरों में भजन कीर्तन हुए।
- इसके अलावा कई जगह मिट्टी के शिवलिंग बनाए गए।
- मान्यता है कि सावन के सोमवार को पार्थिव शिवलिंग बनने से विशेष फल मिलता है। इसके अलावा मंदिरों पर रोशनी की भी व्यवस्था की गई।
भोले का हुआ अभिषेक घरों में अनुष्ठान कर मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता
नवदुनिया प्रतिनिधि, बीना। सावन का पहला सोमवार भोले की विशेष आराधना पूजन अभिषेक के साथ भक्तिमय रहा। शहर के प्रचीन श्रीदेव रघुनाथ तीर्थ स्थित शिवालय में सुबह से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। जहां मोतीचूर नदी के घाट पर स्थित शिवलिंग का पूजन कर जलाभिषेक किया, श्रद्धालुओं ने मंदिर में स्थित प्राचीन शिवलिंग का अभिषेक पूजन किया। सुबह से नगर के विभिन्न मंदिरों में लोगों का तांता लगा रहा जिसमें पंचद्रव्य से भगवान का अभिषेक और बेलपत्र अर्पित कर लोगों ने मनोकामनाएं मांगी। वहीं आसपास स्थित दुनातकर घाट, महादेव घाट पर लोग प्राचीन मंदिरों में पहुंचे जहां पूजन और अभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है। महादेव घाट और दुनातर में एक हजार साल पूरानी मूर्तियां मिलती हैं जो पुरातात्विक महत्व रखती हैं। वहीं अतिप्राचीन एरण में भी एक शिवलिंग है जो नागवंश कालीन माना जाता है।
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