धर्म डेस्क, इंदौर। Shani Pradosh Vrat Kab Hai: त्रयोदशी तिथि भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस तिथि के दिन पड़ने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं। हर महीने दो बार प्रदोष की तिथि पड़ती है। उस दिन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त से 45 मिनट पहले से लेकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक के समय में इस व्रत की पूजा की जाती है।
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि भाद्रपद माह में आने वाले पहले प्रदोष व्रत के दिन वरीयान योग है। इस दिन गर और वणिज करण के साथ ही पुष्य और अश्लेषा नक्षत्र रहेगा। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत शनिवार 31 अगस्त के दिन है। शनिवार के दिन इस व्रत के होने की वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। त्रयोदशी तिथि 30 अगस्त की रात 2.28 मिनट पर शुरू होगी और 31 अगस्त को रात 3.43 मिनट पर समाप्त होगी।
इसलिए 31 अगस्त को ही शनि-प्रदोष व्रत रखना उचित होगा। भादों का दूसरा प्रदोष व्रत 15 सितंबर को पड़ेगा। उस दिन रविवार होने की वजह से उसे रवि-प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
शनिवार को सूर्यास्त 6.43 बजे होगा। इसलिए शाम 5.58 बजे से 7.28 मिनट तक प्रदोष पूजा का उचित समय रहेगा। इस दौरान प्रदोष व्रत की पूजा करने सर्वोत्तम फलदायी रहेगा।
डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'