योगेंद्र शर्मा। मानव जीवन में सुख-समृद्धि के लिए शास्त्रों में अनेकों उपायों का उल्लेख किया गया है। इन उपायों को श्रद्धापूर्वक करने से मानव जीवन के अनेक कष्टों का हरण हो जाता है। यंत्र, तंत्र और मंत्र के जरिए उपासना कर मुश्किलों से छुटकारा पाया जा सकता है और विपुल धन-दौलत की प्राप्ति की जा सकती है। प्रचुर धन-संपदा पाने के लिए महालक्ष्मी, कुबेर और कनकधारा यंत्रों की पूजा का विधान है।
महालक्ष्मी यंत्र
धन की देवी महालक्ष्मी को माना जाता है। श्रीहरी की अर्द्धांगिनी देवी लक्ष्मी की आराधना से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। श्री महालक्ष्मी यंत्र की अधिष्ठात्री देवी कमला है। यानी इस यंत्र की आराधना करते समय धवल हाथियों के द्वारा स्वर्ण कलश से स्नान करती हुई कमलासन पर बैठी महालक्ष्मी का ध्यान करना चाहिये। शास्त्रों के अनुसार इस यंत्र के नित्य दर्शन व पूजन से अपार धन की प्राप्ति होती है।
इस यंत्र की पूजा पुराणोक्त है। इस यंत्र की संरचना में बिन्दु, षटकोण, वृत, अष्टदल और भूपुर का समावेश किया गया है। श्री महालक्ष्मी यंत्र की आकृतियां देवी देवताओं की प्रतीक होती हैं। इस यंत्र को सिद्ध या अभिमंत्रित करने के लिए लक्ष्मी मंत्र अति प्रभावशाली माना जाता है मंत्र जप के लिए कमलगट्टे की माला का प्रयोग करना चाहिए।
श्री कुबेर यंत्र
मान्यता है कि धन की प्राप्ति के लिए श्रीयंत्र के साथ कुबेर यंत्र की उपासना भी की जाती है। यह यंत्र धन के अधिपति कुबेर का यंत्र है। इस यंत्र के प्रभाव से यक्षराज कुबेर प्रसन्न होकर अतुल सम्पत्ति प्रदान करते हैं और उसकी रक्षा भी करते हैं। यह यंत्र स्वर्ण और रजत पत्रों से भी निर्मित होता है, जहां लक्ष्मी प्राप्ति की अन्य साधनाएं विफल हो जाती हैं,वहां इस यंत्र की उपासना से शीघ्र लाभ होता है।
कुबेर यंत्र विजयादशमी, धनतेरस, दीपावली तथा रविपुष्य नक्षत्र और गुरुवार या रविवार को बनाया जाता है। कुबेर यंत्र की स्थापना गल्ले तिजोरियों और बन्द अलमारियों में की जाती है। लक्ष्मी प्राप्ति की साधनाओं में कुबेर यंत्र अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
कुबेर धन के अधिपति हैं यानी कुबेर देव को धन का देवता माना जाता है। वह देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। पृथ्वीलोक की समस्त धन संपदा के भी एकमात्र वही स्वामी हैं।
कुबेर भगवान शिव के भी परमप्रिय सेवक हैं। इनकी कृपा से किसी को भी धन प्राप्ति के योग बन जाते हैं। धन के अधिपति होने के कारण इन्हें मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करके आप भी अपार धन सम्पदा के मालिक बन सकते हैं।
कुबेर का विलक्षण सिद्ध मंत्र
मनुजवाह्य विमानवरस्थितं गुरुडरत्नानिभं निधिनाकम।
शिव संख युक्तादिवि भूषित वरगदे दध गतं भजतांदलम।।
कुबेर का अष्टाक्षर मंत्र - ॐ वैश्रवणाय स्वाहा:।
कुबेर का षोडशाक्षर मंत्र - ॐ श्री ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:।
कुबेर का प्राचीन दिव्य मंत्र - ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धिम् देहि दापय दापय स्वाहा।
कुबेर मंत्र को दक्षिण की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है। मंत्र का जप करते समय अपने सामने धनलक्ष्मी कौड़ी रखें। तीन माह के बाद प्रयोग पूरा होने पर इस
कौड़ी को अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें। ऐसा करने पर कुबेर देव की कृपा से आपका लॉकर कभी खाली नहीं होगा। हमेशा उसमें धन भरा रहेगा।
कनकधारा यंत्र
लक्ष्मी प्राप्ति के लिये यह अत्यन्त दुर्लभ और रामबाण प्रयोग है। इस यंत्र के पूजन से दरिद्रता का नाश होता है। पूर्व में आद्य शंकराचार्य ने इसी यंत्र के प्रभाव से स्वर्ण के आंवलों की वर्षा करवाई थी। यह यंत्र दरिद्रता को दूर कर धनाधिपति बनने के योग बनाता है। इस यंत्र की आराधना से अष्ट सिद्धि व नव निधियों की प्राप्ति होती है।
इसमें बिन्दु त्रिकोण एवं दो वृहद कोण वृत्त अष्टदल वृत्त षोडस दल एव तीन भूपुर होते है। इस यंत्र के साथ कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से विपुल धन की प्राप्ति होती है। धन प्राप्ति हेतु रवि या गुरुपुष्य नक्षत्र में शुभ मुहूर्त में इस यंत्र का निर्माण कर मां लक्ष्मी के समक्ष कनकधारा स्तोत्र एवं निम्र मंत्र का नित्य जाप करें-
ॐ वं श्रीं वं ऐं लीं श्री क्लीं कनकधारयै स्वाहा।