21 मार्च को शीतला सप्तमी, घरों में नहीं जलेगा चूल्हा, श्रद्धालु करेंगे ठंडा भोजन, नोट करें पूजा का समय
यह पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी व अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। शीतला सप्तमी की पूजा सप्तमी तिथि 21 मार्च 2025 को तड़के 02 बजकर 45 मिनट पर प्रारंभ होगी और सप्तमी तिथि का समापन 22 मार्च 2025 को सुबह 04 बजकर 23 मिनट पर होगा। शीतला सप्तमी की पूजा 21 मार्च 2025, शुक्रवार को की जाएगी।
Publish Date: Thu, 20 Mar 2025 05:50:36 PM (IST)
Updated Date: Thu, 20 Mar 2025 06:46:24 PM (IST)
शीतला सप्तमी पर करते हैं शीतला माता की पूजा।HighLights
- महिलाएं सुख समृद्धि की कामना से करेंगी पूजा।
- मध्यरात्रि से मंदिरों में लगेगा दर्शनार्थियों का तांता।
- देवी को भोग में ठंडा भोजन अर्पित किया जाता है।
उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शुक्रवार को सीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा। महिलाएं सुख सौभाग्य व आरोग्यता की कामना से सीतला माता का पूजन करेंगी। मान्यता है सीतला माता के पूजन से संक्रमण जनित व्याधियों का नाश होता है। इसलिए शीत व ग्रीष्म ऋतु के संधिकाल में सीतला पूजन की परंपरा है।
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व्याधियों से मुक्ति दिलाने वाली देवी
- सीतला सप्तमी से जुड़ी कथाओं में सीतला माता का महत्व है।
- ज्वर, जरा व व्याधियों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना गया है।
- सीतला माता की पूजा ठंडे समय अर्थात सुबह के समय की जाती है।
- इसी मान्यता के चलते महिलाएं गुरुवार-शुक्रवार की मध्य रात्रि से पूजन की शुरुआत करेंगी।
- सीतला सप्तमी पर देवी को भोग के रूप में ठंडा भोजन अर्पित किया जाता है।
- पूजन के बाद श्रद्धालु भी ठंडा भोजन ग्रहण करते हैं।
- इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलता है। जानकार इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी मानते हैं।
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ठंडे भोजन से बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता
- ऋतु परिवर्तन के समय शारीरिक संतुलन के दृष्टिकोण से भी एक दिन पहले बना ठंडा भोजन देवी को अर्पण कर प्रसाद रूप में ग्रहण करने की मान्यता है।
- ऐसा कहा जाता है कि यह करने से माता की कृपा प्राप्त होती है, बाल बच्चों को शीत जनित रोग नहीं सताते और वहीं ठंडा भोजन प्राप्त करने से रेजिस्टेंस पावर बढ़ता है।
- इससे वसंत ऋतु के साथ-साथ ग्रीष्म ऋतु का स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव रहे इसका निर्धारण होता है। आयुर्वेद इस संबंध में अलग-अलग प्रकार के विचार व्यक्त करता है।