नईदुनिया प्रतिनिधि, देवास (Dewas News)। मध्य प्रदेश के देवास जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर बागली से पूर्व दिशा की ओर जटाशंकर तीर्थ अनादिकाल से दिव्य स्वरूप, अलौकिकता, शांति और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध रहा है। श्रावण में कांवड़ यात्री यहां महादेव का अभिषेक करते हैं। जटाशंकर महादेव पर नीले व लाल रंग की धारियां हैं, इसलिए इसे नीललोहित शिवलिंग भी कहा जाता है।
मान्यता है कि त्रेता युग में यह स्थल जटायु की तपोभूमि रही है। यहां अखंड जलाभिषेक करने वाली जलधारा है, जिसका स्रोत पता लगाने में विशेषज्ञ भी असफल रहे हैं। लगभग 600 वर्ष पूर्व वैष्णव संप्रदाय के वनखंडी नामक एक महात्मा यहां निवास करते थे।
वाग्योग चेतना पीठम बागली के संचालक पं. कनिष्क द्विवेदी के अनुसार चंद्रकेश्वर तीर्थ पर अत्रि ऋषि के पुत्र चंद्रमा का आश्रम था, जो कालांतर में च्यवन ऋषि की तपोभूमि बना और चंद्रमा ने जटायु की मदद की थी।
अनादिकाल में यहां पर जटायु ने तप किया था। जलधारा के मुहाने पर लगा गोमुख लगभग 200 वर्ष पूर्व बागली रियासत के राजपुरोहित पं. सोमेश्वर त्रिवेदी ने स्थापित करवाया था।
तीर्थ परिवार द्वारा वर्ष भर जटा शंकर सहित अन्य स्थानों पर व कुंभ एवं अर्द्धकुंभ में सफलतापूर्वक भंडारों का आयोजन किया जाता है। - बद्रीदास महाराज, महंत
यहां आगमन से अलौकिक शांति और दिव्य ऊर्जा का अनुभव होता है। गोबर के उल्टे स्वास्तिक बनाकर मांगी गई मनोकामना पूरी होती है। अभय बड़ौला, भक्त बागली