मुकेश तिवारी, कटनी। भगवान शिव के अनोखे स्थानों में से एक कटनी जिले के बहोरीबंद में स्थित रूपनाथ धाम है। जहां को लेकर मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव की बरात रुकी थी। इसके चलते यहां दूर-दूर से भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं।
महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार को यहां मेला लगता है। रूपनाथ धाम की धार्मिक मान्यता तो है ही, यहां पर अनोखे इतिहास (Story of Secret Path) भी छिपे हैं। यहां सम्राट अशोक के शिलालेख भी सुरक्षित हैं और स्थान पुरातत्व विभाग के अधीन है।
स्थानीय जन मानते हैं कि इस स्थल पर भगवान भोलेनाथ की बरात (Shiva Barat) ठहरी हुई थी। बरातियों की प्यास बुझाने के लिए ही यहां तीन कुंड बनाए गए थे। इन्हें राम, सीता और लक्ष्मण कुंड के नाम से जाना जाता है। इन कुंडों की खास विशेषता यह है कि सालभर इनमें पानी भरा रहता है। 300 से 400 मीटर की ऊंची पहाड़ी, झरनों के बीच प्रकृति का आनंद उठाने भी लोग पहुंचते हैं।
रूपनाथ धाम को लेकर अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं। बरात ठहरने के दौरान यहां पर भोलेनाथ माता पार्वती के साथ कई दिनों तक रुके थे। इस कारण से इसका नाम रूपनाथ पड़ा। वहीं यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव रूपनाथ में बनी गुफा से होकर मझौली के पास कटाव धाम की गुफा से निकलकर कटाव की नदी में स्नान करने जाते थे।
कुछ लोग कहते हैं कि जिस गुफा (Roopnath Dham Cave) में भगवान विराजित हैं, वहां से सुरंग के रास्ते से दमोह के प्रसिद्ध जागेश्वर नाथ धाम गए थे। मान्यता यह भी है कि सम्राट अशोक भी यहां पहुंचे थे, जिसका प्रमाण यहां शिलाओं पर उकेरी गई अनूठी लिपि भी है। प्रतिवर्ष 14 जनवरी से 18 जनवरी तक लगने वाला मेला आकर्षण का केंद्र रहता है। श्रावण सोमवार में भी यहां पर विशेष आयोजन होते हैं।
इस स्थान पर पहुंचने के लिए कटनी जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर का सफर तय कर बहोरीबंद पहुंचना होता है। यह स्थान बहोरीबंद से सात किलोमीटर मझौली रोड पर स्थित है। यहां पर बचैया से सिहोरा मार्ग, बहोरीबंद-सिहोरा मार्ग, मझौली से रूपनाथ धाम मार्ग और बहोरीबंद से रूपनाथ मार्ग से पहुंचा जा सकता है। रेल मार्ग से कटनी से सलैया स्टेशन उतरने के बाद सलैया से बाकल-बहोरीबंद होते हुए रूपनाथ धाम पहुंचा जा सकता है।