नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। खरमास का समापन 14 अप्रैल को होगा। एक माह के विराम के बाद शुभ मुहूर्त नहीं होने के कारण मांगलिक कार्यों में पर लगा विराम समाप्त हो जाएगा। शहनाई की मधुर ध्वनि वैवाहिक गार्डनों में सुनाई देने लगेगी।
बैंड-बाजों के शोर में वर यात्रा में सड़क पर नृत्य करते लोग नजर आने लगेंगें। बाजारों में एक बार फिर खरीदारी शुरू हो जाएगी। गृहप्रवेश और मुंडन संस्कार भी शुरू हो जाएंगे। आज शुक्र ग्रह भी उदय हो रहे हैं। गुरु ग्रह पहले से उदय है।
इसलिए 14 अप्रैल से लेकर नौ जून तक विवाह के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त हैं। देवश्यानी एकादशी से 27 दिन पहले नौ जून को गुरु के अस्त होने के कारण इस बार पांच माह के लिए विवाह समारोह में विराम लग जाएगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चौपड़ा ने बताया कि सनातन धर्म में कोई भी कार्य बिना शुभ मुहूर्त जाने नहीं किया जाता है।
किसी भी मांगलिक कार्य को करने से पहले उनका शुभ मुहूर्त जानना बेहद जरूरी होता है। 14 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में गोचर से खरमास समाप्त हो जाएगा और विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ होंगे। शादी जीवन के सबसे महत्वपूर्ण समय में से एक है और यह हमारे शास्त्रों में वर्णित 16 संस्कारों का भी हिस्सा है।
विवाह के लिए मुहूर्त का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। विवाह के लिए गुरु और शुक्र का उदय होना आवश्यक माना गया है। 23 मार्च को शुक्र ग्रह उदय हो जाएंगे। गुरु ग्रह उदय ही चल रहे है और नौ जून को अस्त होंगे। उसके बाद विवाह पर रोक लग जाएगी।
उसके पश्चात छह जुलाई को देवशयनी एकादशी के बाद देव चार माह के लिए श्रीहरि क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते हैं। उसके पश्चात दो नवंबर को देवउठनी एकादशी पर फिर से विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ होंगे।