Sita in Ramayana: माता सीता को एक आदर्श नारी, पतिव्रता पत्नी, साहसी महिला और एक धर्मपरायण मां के रूप में पहचाना जाता है। माता सीता रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक रही है। उन्होंने अयोध्या की महारानी बनकर महलों के सुख भी काफी भोगे तो जंगलों में कष्टप्रद जीवन भी उन्होंने काफी जीया। राक्षसराज लंकापति रावण की लंका में रहते हुए उन्होंने विषम परिस्थितियों में अपने सतित्व की रक्षा की ओर और अपने मन मंदिर में श्रीराम को बसा कर रखा। इए अब एक नजर डालते हैं देवी सीता के कुछ अनछुए पहलूओं पर।
देवी सीता का प्रकटोत्सव उस समय हुआ था जब महाराज जनक राज्य में उत्तम वर्षा के लिए खेत जोतने की रस्म को निभा रहे थे। उस वक्त हल का अगला हिस्सा एक कलश से टकराया। कलश को जब खोला गया तो एक सुंदर कन्या प्राप्त हुई। हल के अगले हिस्से को सीत कहा जाता है इसलिए राजा जनक ने बालिका का नाम सीता रख दिया।
अद्भुत रामायण में बताया है सीता की बेटी
अद्भुत रामायण में सीता को रावण की पुत्री बतलाया गया है। इसमें यह भी लिखा है कि जब रावण ने कहा था कि जब उसके अंदर अपनी पुत्री से विवाह की इच्छा पैदा हो जाए तो वह पुत्री ही उसकी मृत्यु का कारण बने। एक कथा के अनुसरा गृत्समद नाम के ऋषि देवी लक्ष्मी को अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन कुश के आगे के भाग से मंत्रोच्चार के साथ एक कलश में दूध की कुछ बूंदे डालते थे। एक दिन जब ऋषि आश्रम में मौजूद नहीं थे उस वक्त रावण वहां पर पहुंचा और वहां पर उपस्थित ऋषियों को मारकर उनका रक्त उस कलश में भर लिया और उसको महल में लाकर छिपा दिया।
मंदोदरी के मन में उस कलश को लेकर काफी जिज्ञासा थी. एक दिन मंदोदरी ने रावण की गैरमौजूदगी में उस कलश को खोला और उसका रक्त पी गई। रक्त के पीने से मंदोदरी गर्भवती हो गई। यह रहस्य किसी को पता न चले इसलिए उसने उस बालिका को एक कलश में भरकर दूर मिथिला की भूमि पर छोड़ दिया। इस तरह से देवी सीता को रावण की पुत्री बताया गया है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में सीता है एक ब्राह्मण कन्या
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार सीता एक ब्राह्मण कन्या है। इसके अनुसार वेदवती नाम की एक ब्राह्मण कन्या भगवान विष्णु को पाने के लिए तप कर रही थी। उस वक्त लंकापति रावण हिमालय पर भ्रमण कर रहा था। वेदवती को देखकर रावण ने उससे बलात्कार करने की कोशिश की। वेदवती ने रावण से स्वयं को मुक्त करा लिया और एक गहरी खाई में कूद गई। मरने से पहले वेदवती ने रावण को श्राप दिया था कि वह फिर से जन्म लेगी और उसकी मौत का कारण बनेगी।