Solar Eclipse 2019। पिता और पुत्र का रिश्ता हमेशा से स्नेह, दुलार और कठोर नियंत्रण का रहा है। पिता की छत्र-छाया में पुत्र पलता-बढ़ता है और पिता की सीख के साथ आगे बढ़ते हुए वह जिंदगी की दशा और दिशा तय करता है। शास्त्रों में देवताओं और ऋषि-मुनियों में भी पिता-पुत्र के रिश्ते स्नेह करने वाले पिता और आज्ञाकारी पुत्र के रहे हैं, लेकिन सूर्य देव और शनि महाराज के रिश्ते पिता-पुत्र के होते हुए भी कभी अच्छे नहीं रहे। दोनों के रिश्तों में खटास शनिदेव के जन्म से ही आ गई थी।
सूर्यदेव ने शनि महाराज किया था त्याग
पौराणिक कथा के अनुसार शनिदव के पिता का नाम सूर्य और माता का नाम देवी छाया था। शनिदेव की माता छाया महादेव की अनन्य भक्त थी और प्रतिदिन भोलेनाथ की मन से कठोर पूजा करती थी। देवी छाया के गर्भ में शनिदेव पल रहे थे। देवी छाया भगवान शिव की कठोर तपस्या करती थी इस वजह से गर्भ में पल रहे शनिदेव का रंग काला पड़ गया। जब शनिदेव का जन्म हुआ तो उनका रंग अत्यंत काला था। पिता सूर्य अपने पुत्र का काला रंग देखकर बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने क्रोधावस्था में कहा कि यह मेरा पुत्र नहीं हो सकता है और इसके तुरंत बाद वह वहां से चले गए।
इंद्र ने लगाया देवी छाया पर लांछन
राहु को जब इस बात का पता चलता है तो वह अपने राक्षसी गुण की वजह से स्वर्गाधिपति इंद्र को भड़काते हैं कि सूर्य तुम्हारा सिंहासन हथियाना चाहते हैं। इस मौके का फायदा उठाकर राहु सूर्य ओर देवी छाया के रिश्तों के तनाव के बारे में बताता है और कहता है कि सूर्य देव को देवताओं की श्रेणी से निकालने का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा। इसके बाद सूर्य जब इंद्रसभा में आते हैं तो इंद्र देवी छाया के चरित्र पर सवाल उठाते हैं और सूर्य का मजाक उड़ाते हैं। इंद्र सूर्य से कहते हैं कि या तो वह अपनी पत्नी छाया का त्याग करें या अपने देवत्व का। इंद्र के आरोप से सूर्य अत्यंत क्रोधित होते हैं और पत्नी छाया और पुत्र शनि को घर से निकाल देते हैं।
महादेव ने दिया शनिदेव को वरदान
पिता से अपमानित होकर शनिदेव अपनी माता को इंसाफ दिलवाने के लिए महादेव का कठोर तप करते हैं। शनिदेव के कठोर तप से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उनसे वर मांगने को कहा। शनिदेव ने कहा कि पिता सूर्य ने मेरी माता का अपमान किया है इसलिए हे महादेव आप मुझे पिता सूर्य से भी ज्यादा शक्तिशाली होने का वरदान दें। तब महादेव ने शनिदेव को वर दिया कि ग्रहों में तुम्हारा श्रेष्ठ स्थान होगा। तुम सर्वोच्च न्यायाधीश और दंडाधिकारी भी होंगे। मानव के साथ देवता, असुर, सिद्ध, विद्याधर, गंधर्व व नाग सभी तुम्हारे नाम से भयभीत रहेंगे। शिव से शक्तियां प्राप्त करने के बाद शनि महाराज पिता सूर्य को युद्ध को लिए ललकारते हैं। तभी महादेव दोनों के बीच युद्धविराम करवाते हैं और सूर्य को हकीकत बताते हैं।