धर्म डेस्क, नई दिल्ली। 2 अगस्त 2027 को पृथ्वी पर एक दुर्लभ खगोलीय घटना घटेगी, जब सूर्य पूरी तरह से चंद्रमा की छाया में छिप जाएगा। यह पूर्ण सूर्यग्रहण (Total Solar Eclipse) 21वीं सदी का सबसे लंबा ग्रहण होगा, जिसकी कुल अवधि 6 मिनट 23 सेकंड की होगी। इस दौरान कुछ क्षेत्रों में दिन के उजाले में रात जैसा अंधकार छा जाएगा।
यह सूर्यग्रहण मुख्यतः दक्षिणी स्पेन, उत्तर अफ्रीका (ट्यूनिशिया, अल्जीरिया, मिस्र आदि), सऊदी अरब, यमन, ओमान और दक्षिणी UAE में पूरी तरह दिखाई देगा। मिस्र का लक्सर (Luxor) शहर इस ग्रहण के केंद्र में होगा, जहां सबसे लंबी अवधि तक पूर्णता देखने को मिलेगी।
भारत इस ग्रहण की पूर्ण छाया पथ (path of totality) में नहीं आता, लेकिन राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, और गोवा जैसे राज्यों में इसका आंशिक रूप (Partial Eclipse) देखा जा सकेगा। यहां सूर्य का केवल 10% से 30% हिस्सा ही ढका दिखाई देगा।
यह आंशिक ग्रहण शाम 4 बजे से 6 बजे के बीच होगा, लेकिन समुद्र किनारे के इलाकों में सूर्यास्त जल्दी होने के कारण इसकी दृश्यता सीमित हो सकती है।
यह सूर्यग्रहण वैज्ञानिकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उन्हें सूर्य की कोरोना (Corona), सौर ज्वालाओं (Solar Flares) और मैग्नेटिक फील्ड का विस्तार से अध्ययन करने का अवसर मिलेगा।
भारत में विज्ञान प्रसार, ISRO, और प्लेनेटरी सोसाइटी जैसी संस्थाएं इस दिन विशेष जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करेंगी। यह सूर्यग्रहण न केवल खगोल प्रेमियों और वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय संस्कृति में इसकी धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं, जिन्हें संतुलित रूप से समझना आवश्यक है।