रामकृष्ण मुले, नईदुनिया इंदौर। Super Fast Riley Kanwar Yatra: श्रावण में यूं तो देशभर में हजारों कांवड़ यात्राएं निकाली जा रही हैं, किंतु इंदौर के श्रद्धालु इस बार अनूठी कांवड़ यात्रा करेंगे। यह ओलंपिक खेलों की तरह रिले कांवड़ यात्रा होगी। गुजरात से इंदौर तक होने वाली यह यात्रा कुल 900 किलोमीटर की होगी और कुल 54 घंटों में तय कर ली जाएगी।
कांवड़िए प्रति घंटा करीब 16 किलोमीटर दूरी दौड़ते हुए पूरी करेंगे और अपने कांधे की कांवड़ अगले श्रद्धालु को सौंपते जाएंगे। यह अपनी तरह की अनूठी व देश की ऐसी पहली कांवड़ यात्रा होगी, जो रिले रेस स्पर्धा की तरह होगी और सुपर फास्ट गति से पूरी होगी। इसका आरंभ गुजरात में गोमती नदी व समुद्र के संगम द्वारकाधीश मंदिर से होगा और समापन इंदौर स्थित अरण्य धाम आश्रम, स्कीम नंबर 78 में होगा।
सीताराम सुपर फास्ट डाक (रिले) कांवड़ यात्रा भक्त मंडल के तत्वावधान में निकलने वाली इस यात्रा का स्वप्न इंदौर स्थित अरण्य धाम आश्रम के अधिष्ठाता ब्रह्मलीन फलाहारी बाबा ने देखा था। उनकी इच्छा थी कि आश्रम में प्रतिष्ठित रामेश्वर महादेव का जलाभिषेक देश के अलग-अलग धार्मिक स्थलों की पावन नदियों के जल से किया जाए।
यह जल कांवड़ में भरकर श्रद्धालुओं द्वारा लाया जाए। उनके इस स्वप्न को अब आश्रम परिवार के प्रमुख महंत रामजी महाराज पूरा कर रहे हैं, इसलिए योजना बनाई गई। वह कहते हैं कि भारतीय सनातन संस्कृति में गुरु की आज्ञा और इच्छा पूरी करना शिष्य का कर्तव्य होता है।
गुरु की इच्छा पूरी करने के लिए ही दौड़ती हुई नाॅन स्टाॅप सीताराम कांवड़ यात्रा की योजना बनाई गई। इससे पहले निकाली गई यात्रा में ओंकारेश्वर, उज्जैन, महेश्वर से जल लेकर कांवड़िए दौड़ते हुए इंदौर पहुंचे थे। इस बार इसे दो राज्यों तक विस्तार दिया गया है।
आश्रम के महंत राम जी बाबा बताते हैं कि कांवड़ के मुख्यत: तीन स्वरूप होते हैं।
पहली जल कांवड़: इसमें जल लेकर कांवड़िए सूर्योदय से सूर्यास्त तक पैदल चलते हैं और रात्रि में विश्राम करते हैं।
दूसरी अखंड कांवड़: इसमें श्रद्धालु सुबह, दोपहर, शाम व रात में भी निरंतर गंतव्य की ओर चलते रहते हैं।
तीसरी डाक कांवड़: इसमें कांवड़ एक ही होती है, जिसे बारी-बारी से कांवड़िए लेकर दौड़ते हैं। डाक कांवड़ का चलन झारखंड की ओर ज्यादा देखने को मिलता है।
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