Surya Grahan 2019: सनातन संस्कृति में सूर्य को अर्घ्य देने का बड़ा महत्व बताया गया है। सूर्य आराधना के उपक्रम में सूर्य को एक पात्र में जल लेकर समर्पित करने से कई दोषों का निवारण हो जाता है और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। सूर्य को अर्घ्य सूर्योदय से समय देने पर भगवान सूर्य की विशेष कृपा मिलती है।
इस विधि से दें सूर्य को अर्घ्य
सबसे पहले सूर्योदय के पूर्व स्नान आदि से निवृत्त होकर एक लोटे में जल लें। लोटा तांबे का होना चाहिए, क्योंकि तांबे का संबंध सूर्यदेव से माना गया है। इसलिए तांबे के लोटे से जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। सूर्य को हमेशा अर्घ्य सूर्योदय के एक घंटे के अंदर देना चाहिए। गर्मी और ठंड के समय सूर्योदय के समय में परिवर्तन हो सकता है। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़ा होना चाहिए।
सूर्य यदि बादलों की ओट में छिपा हुआ हो तब पूर्व दिशा में सूर्य की उपस्थिति मानकर अर्घ्य दिया जा सकता है। सूर् का संबंध लाल रंग से होता है इसलिए लाल रंग के वस्त्र पहनकर जल देना श्रेष्ठ होता है। अर्घ्य के जल में अपनी मनोकामना के अनुसार कुमकुम, अक्षत हल्दी, रक्त चंदन, लाल पुष्प आदि मिलाए जा सकते हैं। सूर्य के मंत्रों से का जाप करना श्रेष्ठ फल देता है।
आदित्य स्त्रोत का करें पाठ
सूर्य को जल देने के बाद सूर्य आदित्य स्त्रोत, हनुमान चालीसा का पाठ करना भी बेहतर होता है। सूर्य को अर्घ्य देते समय इस बात का ख्याल रखें कि सूर्य की किरणें गिरते हुए लोटे के जल से निकलकर दिखाई दे। इसके साथ धूपबत्ती, दीप आदि जलाएं।
रविवार को सूर्य उपासना में कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए। इस दिन नमक और सरसों के तेल का सेवन नहीं करना चाहिए। उपवास करना चाहिए और यदि न कर सके तो कोशिश करना चाहिए की एक समय भोजन ग्रहण करें। मान. सम्मान में वृद्धि, यश-कीर्ति प्राप्त करने और बेहतर स्वास्थ्य के लिए सूर्य साधना बेहतर उपाय है।