
धर्म डेस्क। छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे पावन पर्व माना गया है। इस पर्व पर श्रद्धालु उपासक अस्ताचल और उदयाचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर आरोग्य, यश, सौभाग्य और संतोष की कामना करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, सूर्य कवच का पाठ इस अवधि में करने से जीवन में समस्त संकटों और रोगों से रक्षा होती है। यह कवच शरीर के प्रत्येक अंग की सुरक्षा करता है और साधक को पराक्रम, यश और सौभाग्य प्रदान करता है।
कवच के प्रत्येक श्लोक में सूर्य देव की दिव्यता का वर्णन है। चमकते मुकुट, मकराकृति कुण्डल और हजारों किरणों से युक्त स्वरूप का ध्यान करने से मन और शरीर दोनों पवित्र हो जाते हैं। सूर्य देव “दिनमणि” के रूप में नेत्रों की, “वासरेश्वर” के रूप में श्रवणों की और “धर्मघृणि” के रूप में नाक की रक्षा करते हैं।
छठ पूजा के दौरान सूर्य देव की आरती का भी विशेष महत्व है। “ॐ जय सूर्य भगवान” आरती सूर्य देव की महिमा का वर्णन करती है। इसमें सूर्य को जगत के नेत्रस्वरूप, त्रिगुण स्वरूप और सर्वशक्तिमान कहा गया है। आरती के पदों में यह भाव प्रकट होता है कि सूर्य ही जीवन, बल, बुद्धि और ज्ञान के स्रोत हैं। सुबह के उदयाचल से लेकर शाम के अस्ताचल तक, सूर्य की उपासना से जीवन में उजियारा और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
छठ पर्व के दौरान जो व्यक्ति स्नान कर शुद्ध मन से सूर्य कवच का पाठ करता है और आरती गाता है, वह दीर्घायु, स्वास्थ्य, धन और यश प्राप्त करता है। यह पाठ और आरती जीवन से नकारात्मकता दूर कर आत्मबल और उत्साह को बढ़ाती है। सूर्य उपासना का यह काल आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम अवसर माना गया है।