भगवान श्री रामचंद्र के परम भक्त केसरी नंदन हनुमान जी महाराज कलयुग के देवता माने जाते हैं। हनुमान जी महाराज की भक्ति से इस युग में सभी प्रकार के पापों से मुक्ति पाई जा सकती है। हनुमान जी का मार्ग श्री राम की भक्ति माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि श्री राम की भक्ति करने पर हनुमान जी की कृपा स्वतः ही मिल जाती है। वहीं, हनुमान जी की भक्ति करने पर श्री राम प्रसन्न हो जाते हैं। यदि आप भी हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आपको आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित श्री हनुमत पञ्चरत्नं स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए। इस पाठ में भगवान श्री हनुमान की विशेषता के बारे में बताया गया हैं। श्री हनुमत पञ्चरत्नं का पाठन करने वाला व्यक्ति भगवान श्री रामचंद्र का परम भक्त बन जाता हैं। इस पाठ को करने से व्यक्ति भय मुक्ति रहने के साथ धन, यश, वैभव, सुख और समृद्धि की प्राप्त करता है।
वीताखिल-विषयेच्छं जातानन्दाश्र पुलकमत्यच्छम् ।
सीतापति दूताद्यं वातात्मजमद्य भावये हृद्यम् ॥१॥
तरुणारुण मुख-कमलं करुणा-रसपूर-पूरितापाङ्गम् ।
सञ्जीवनमाशासे मञ्जुल-महिमानमञ्जना-भाग्यम् ॥२॥
शम्बरवैरि-शरातिगमम्बुजदल-विपुल-लोचनोदारम् ।
कम्बुगलमनिलदिष्टम् बिम्ब-ज्वलितोष्ठमेकमवलम्बे ॥३॥
दूरीकृत-सीतार्तिः प्रकटीकृत-रामवैभव-स्फूर्तिः ।
दारित-दशमुख-कीर्तिः पुरतो मम भातु हनुमतो मूर्तिः ॥४॥
वानर-निकराध्यक्षं दानवकुल-कुमुद-रविकर-सदृशम् ।
दीन-जनावन-दीक्षं पवन तपः पाकपुञ्जमद्राक्षम् ॥५॥
एतत्-एतत्पवन-सुतस्य स्तोत्रं, यः पठति पञ्चरत्नाख्यम् ।
चिरमिह-निखिलान् भोगान् भुङ्क्त्वा, श्रीराम-भक्ति-भाग्-भवति ॥६॥
इति श्रीमच्छंकर-भगवतः , कृतौ हनुमत्-पञ्चरत्नं संपूर्णम् ॥
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