नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। वर्ष की दूसरी शनिश्चरी अमावस्या का संयोग 23 अगस्त को बनेगा। इस बार भाद्रपद अमावस्या के शनिश्चरी बनने का संयोग बना है। इस अवसर पर शहर के जूनी इंदौर, जवाहर मार्ग, पाटनीपुरा चिमनबाग सहित शहरभर के शनि मंदिरों में कई आयोजन होंगे। ज्योतिर्विदो के अनुसार साथ ही सूर्य-चंद्र और केतु की युति बनने से दान विशेष फलदायी रहेगा।
ज्योतिर्विद कान्हा जोशी के अनुसार शनिवार को अमावस्या आती है तो उसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या तिथि 22 अगस्त को सुबह 11 बजकर 55 मिनिट से 23 अगस्त को 11 बजकर 35 मिनिट तक रहेगी। यह वर्ष की दूसरी अंतिम शनिश्चरी अमावस्या है। इस अमावस्या को पिठोरा या कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है।
माना जाता है कि इस दिन वैदिक पद्धति से पवित्र ग्रहण करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन दिन सिंह राशि में सूर्य, चंद्र और केतु की युति बनेगी। यह स्थित पितरों के तर्पण के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन दान विशेष लाभदायी होता है।
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प्राचीनतम शनिदेव मंदिर जवाहर मार्ग पर विभिन्न आयोजन होंगे। पुजारी बाबूलाल जोशी ने बताया कि इस अवसर पर भगवान का चांदी के चरण भेंट किए जाएंगे। साथ ही 101 प्रकार के भोग भी लगाए जाएंगे। इस अवसर पर शनिदेव का तेल, सिंदूर, सोने का वर्क से शृंगार किया जाएगा।