Valmiki Jayanti 2020 Date : अश्विन मास की पूर्णिमा के दिन हर साल वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है। इस बार यह पूर्णिमा 31 अक्टूबर, शनिवार को आ रही है। संयोग से इस समय शरद पूर्णिमा भी जारी रहेगी। हम सभी जानते हैं कि वाल्मीकि का परिचय हमारे बीच रामायण के रचनाकार के रूप में है। उनके सम्मान मे प्रति वर्ष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कुछ क्षेत्रों में वाल्मीकि जयंती पर झांकी, चल-समारोह भी निकाले जाते हैं। हालांकि इस साल कोरोना महामारी के चलते यह सार्वजनिक उत्सव संभव नहीं हो सकेगा लेकिन अपने-अपने स्तर पर सावधानी का ध्यान रखते हुए लोग, आयोजक वाल्मीकि जयंती मनाएंगे। वाल्मीकि के जन्म के बारे में वैसे तो कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है लेकिन यह माना जाता है कि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप एवं अदिति की नौवीं संतान एवं उनकी धर्मपत्नी चर्षिणी के घर हुआ था। यह कहा जाता है कि वाल्मीकि ने ही संसार के पहले श्लोक की रचना स्वयं की थी। पौराणिक आख्यानों के अनुसार जब भगवान श्रीराम ने माता सीता का परित्याग कर दिया था तब उन्होंने वाल्मीकि के ही आश्रम में निवास किया था। उनके ही आश्रम में सीता माता ने लव एवं कुश को जन्म दिया था। सीता माता के वन देवी कहे जाने के पीछे एक कारण यह भी है। जहां तक वाल्मीकि के नामकरण की बात है, उनके नाम को लेकर एक जनश्रुति प्रचलित है। यह कहा जाता है कि एक बार जब वाल्मीकि ध्यान में रत थे, तब उनके तन पर दीमक चढ़ गई थी। जब अपनी ध्यान-साधना पूरी हुई तब ही वाल्मीकि ने दीमकों को हटाया। दीमकों के घर को भी वाल्मीकि कहा जाता है। इसके चलते उनका नाम भी वाल्मीकि ही पड़ गया। उनका एक अन्य नाम रत्नाकर भी है।