Vedic Mantra: सनातन संस्कृति के धर्मशास्त्रों में वैदिक मंत्रों का काफी गुणगान किया गया है। मंत्रों को देववाणी बताकर उनके जाप से जीवन के उत्थान की बात कही गई है। शास्त्रों में कहहा गया है कि 'मनः तारयति इति मंत्रः' अर्थात मंत्रों में वह शक्ति होती है कि वो मानव को तार देते हैं। हर देवी देवता के अपने मंत्र होते हैं और उनके स्मरण मात्र से मानव के उन्नति और उसकी सफलता के द्वार खुलते हैं।
वैदिक शास्त्रों नें मंत्रों को मुख्य रूप से सोलह भागों में विभक्त किया गया है। इस तरह कहा जा सकता है कि मंत्रों का सोलह तरीकों से पारायण और अधिष्ठापन किया जाता है। वैसे मंत्रों को मुख्यत: तीन प्रकार से श्रेणीबद्ध किया गया है। जो वैदिक, तांत्रिक और शाबर मंत्रों में विभक्त है।
वैदिक मंत्र
मंत्र की यदि धार्मिक कर्मकांड में बात की जाए तो सबसे पहले वैदिक मंत्रों की बात होती है। मान्यता है कि वैदिक मंत्रों को सिद्ध करने में काफी समय लगता है। लोकिन वैदिक मंत्रों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यदि उनको एक बार सिद्ध कर लिया जाए तो वे फिर कभी भी नष्ट नहीं होते हैं। मानव जीवन में उनका प्रभाव सदैव बना रहता है। जिस किसी भी मनुष्य ने अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए वैदिक मंत्रों को सिद्ध कर लिया है, तो उसकी जिंदगी में उस मंत्र का प्रभाव हमेशा बना रहता है।
तांत्रिक मंत्र
वैदिक मंत्रों को सिद्ध करने में जहां कड़ी मेहनत और ध्यान की जरूरत होती है वहीं तांत्रिक मंत्र वैदिक मंत्र की अपेक्षा जल्दी सिद्ध हो जाते हैं और अपना फल भी मानव को जल्दी दे देते हैं। लेकिन तांत्रिक मंत्र जिल्दी सिद्ध होते हैं उतनी ही जल्दी उनका प्रभाव भी समाप्त हो जाता है। यानी जितनी जल्दी तांत्रिक मंत्र अपना असर दिखाते हैं उनकी शक्ति भी उतनी जल्दी क्षीण हो जाती है। तांत्रिक मंत्रों का प्रभाव वैदिक मंत्रों की अपेक्षा कम सम तक बना रहता है।
शाबर मंत्र
वैदिक और तांत्रिक दोनों मंत्रों से शाबर मंत्र अलग होते हैं। शाबर मंत्र बहुत जल्द सिद्ध हो जाते है। यानी वह जातक को अपना प्रभाव जल्द देते हैं। ये मंत्र शीघ्र सिद्ध होते हैं इसलिए इनका प्रभाव भी ज्यादा देर तक नहीं रहता है।