धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का खास महत्व है और इस दिन शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला वास्तुकार माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि स्वर्गलोक, पुष्पक विमान, श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी, यमनपुरी, कुबेरपुरी, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र आदि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। ऐसा माना जाता है कि विश्वकर्मा जी की पूजा करने से साधक को सुख और सौभाग्य मिलता है। आइए, विश्वकर्मा पूजा की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं।
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 सितंबर (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर विश्वकर्मा जी की पूजा कर सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा के दिन शिव और परिघ योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। परिघ योग के बाद शिव योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही शिववास योग का भी निर्माण होगा। इन योग में विश्वकर्मा पूजा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 07 मिनट पर।
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट पर।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक।
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कन्या संक्रांति के दिन ही भगवान विश्वकर्मा जी का अवतरण हुआ था। इस दिन लोग भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा-अर्चना करते हैं और अपने काम में सफलता व समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।
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