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नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के सहयोग से 25 से 30 दिसंबर तक प्रस्तावित 69वीं राष्ट्रीय रोलर स्केटिंग प्रतियोगिता आयोजन से पहले ही अव्यवस्था का शिकार हो गई, जहां देश भर की टीमें स्केटिंग के लिए आने वाली हैं वह कार्यक्रम अब सवालों के घेरे में है। यह मामला तब उजागर हुआ जब प्रतियोगिता से पूर्व आयोजित किया जाने वाला प्रशिक्षण शिविर में अव्यवस्थाएं होने पर बाहर से आए कई खिलाड़ी बिना अभ्यास किए वापस लौटने को मजबूर हो गए।
दरअसल, 20 दिसंबर से मध्य प्रदेश स्केटिंग टीम का प्रशिक्षण शिविर आयोजित होना था, लेकिन आयोजकों ने न तो इसकी सूचना खिलाड़ियों को दी और न ही ठहराव व भोजन जैसी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था की। अन्य जिलों से चयनित खिलाड़ी निर्धारित तिथि पर ग्वालियर पहुंचे, लेकिन शिविर स्थल पर न तो अभ्यास सत्र मिला और न ही रहने की कोई व्यवस्था। हालात से निराश होकर अधिकांश खिलाड़ी वापस लौट गए।
आरोप है कि इस बीच में खिलाडियों की एंट्री कर ली गई थी और उन्हें भेज दिया गया। कोच बोले, व्यवस्था नहीं थी तो साइन कर वापस आ गए। इस मामले में जब खेल से जुड़े एक अधिकारी ने भोपाल की टीम से आए स्केटिंग कोच अमर से बात की तो उन्होंने अपनी पूरी पीड़ा बताई-
अधिकारी - क्या हुआ आप आए थे, फिर चले गए क्या?
कोच - हां, हम वापस भोपाल आ गए।
अधिकारी - ऐसा क्यों किया, रुकने की व्यवस्था नहीं थी?
कोच - नहीं सर, हम आए तो वहां कोई मिला नहीं, दस्तावेजों की एंट्री की और हम वापस आ गए।
अधिकारी - आपको संपर्क करना चाहिए था किसी से।
कोच - हमने महेंद्र बरैया (सहायक संचालक) से संपर्क किया था, कोई मिला नहीं तो वापस आ गए।
अधिकारी - कोई तो मिला होगा? कोच - नहीं, न कोई अधिकारी था मौके पर, न कोई खिलाड़ी था। 48 में से सिर्फ चार खिलाड़ी आवास में - इस प्रतियोगिता का अभ्यास शिविर 20 से शुरू हुआ है, जिसमें प्रदेश के 48 खिलाड़ियों को ठहरना था।
वर्तमान में सिर्फ चार खिलाड़ी बालक स्कूल थाटीपुर में रुके हुए हैं। वहीं अब 25 से नेशनल स्केटिंग का आयोजन आइटीएम ग्लोबल स्कूल में होना है, जिसमें 1077 खिलाडियों के शामिल होने का अनुमान है। रोजाना हजारों रुपये खर्च करती है सरकार - इन खिलाड़ियों के आने से लेकर जाने तक का पूरा खर्च शासन देता है, जिसमें दैनिक खर्चे में 350 रुपये भोजन का खर्चा मिलता है।
खेल में 900 रुपये ड्रेस के, 500 खेल सामग्री, लगभग 400 मेडिकल और औसतन घर वापसी टिकिट के 500 रुपये प्रति खिलाड़ी दिए जाते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य खर्चे भी शामिल होते हैं। सर्दी थी तो वापस चले गए - खिलाड़ी आए थे, लेकिन यहां सर्दी के चक्कर में यह कह कर वापस चले गए कि सर्दी के कपड़े लेकर आएंगे। कुछ खिलाड़ी तो वापस आ गए हैं और प्रैक्टिस भी कर रहे हैं।
हमारी ओर से कोई कमी नहीं है। -महेंद्र पाल बरैया, सहायक संचालक, खेल। संयुक्त संचालक ने फोन नहीं उठाया - इस मामले में जब संयुक्त संचालक अरविंद सिंह से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। गौरतलब है कि 17 दिसंबर को आयोजन की तैयारियों को लेकर अधिकारियों की बैठक कर व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर दावे खोखले साबित हुए।