टेक्नोलॉजी डेस्क। एक वक्त था जब स्मार्टफोन्स, या फिर साधारण फीचर फोन्स भी नहीं थे। इंसान की लाइफ बहुत सुलझी हुई थी। न ही हर वक्त फोन कर के कोई परेशान करता, न ही इंसान भी हर समय फोन में घुसा रहता। जब से फोन का प्रयोग बढ़ा है, तब से लोगों की चिंताएं भी बढ़ी हैं, क्योंकि इससे अब खतरे भी बढ़ गए हैं। जी हां, हाल ही में उत्तर कोरिया से तस्करी कर लाए गए एक स्मार्टफोन की जब जांच की गई तो उसने सबके होश उड़ा दिए। दरअसल, ये स्मार्टफोन सरकार की सख्त निगरानी और विचारधारा नियंत्रण के लिए तैयार किया गया है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...
बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस डिवाइस को एक अंडरग्राउंड नेटवर्क के जरिए बाहर लाया गया था और उसके बाद टेक्निकल एक्सपर्ट्स से इसकी जांच कि तो पता चला कि ये कोई फोन नहीं बल्कि एक जासूसी मशीन है जो हर 5 मिनट में स्क्रीनशॉट लेता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि उत्तर कोरिया के लगभग सभी स्मार्टफोन में एंड्रॉयड का कस्टमाइज्ड वर्जन इंस्टॉल किया गया है, जिसे खास तौर पर निगरानी और नागरिकों की विचारधारा पर कंट्रोल करने के मकसद से डिजाइन किया गया है।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि इन डिवाइस में कोई बाहरी इंटरनेट नहीं है, यानी इसमें इंटरनेट पूरी तरह से ब्लॉक है और यह सरकार द्वारा जारी एक इंट्रानेट सिस्टम से कंट्रोल होता है जिसका नाम 'क्वांगम्योंग' है, खास बात यह है कि इसमें केवल वही कंटेंट दिखाया जाता है जिसे सरकार की मंजूरी मिलती है। सरकार के खिलाफ कोई भी कंटेंट को यह यूजर्स तक नहीं पहुंचाता है।
इस फोन में टाइपिंग के दौरान भी सरकार की सेंसरशिप देखने को मिलती है। उदाहरण के तौर पर इंटरनेट के अलावा फोन में यूजर्स अगर 'ओप्पा' जैसे शब्द टाइप करते हैं तो उसे ऑटोमैटिक 'कॉमरेड' में बदल दिया जाता है। साथ ही एक वॉर्निंग मैसेज भी पॉप अप होता है, जिसमें यूजर्स को बताया जाता है कि इस वर्ड का यूज केवल अपने भाई-बहनों के लिए करें।
जब टेक्निकल एक्सपर्ट्स ने इसकी जांच की तो उन्होंने पाया कि यह स्मार्टफोन हर 5 मिनट में खुद ही स्क्रीनशॉट लेता है और उसे एक छिपे हुए फोल्डर में सेव करता है। इन फोल्डरों को आम यूजर्स नहीं देख सकते, लेकिन सरकार कभी भी इन्हें एक्सेस कर सकती है। इसका मतलब है कि यूजर की हर डिजिटल गतिविधि पर सरकार की नजर रहती है।