मल्टीमीडिया डेस्क। सोर्स कोड और सॉफ्टवेयर से जुड़ी सभी जानकारियों को गोपनीय रखने में माहिर माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन ने एमएस डॉस और एमएस वर्ड के प्रारंभिक संस्करणों की जानकारी सार्वजनिक करने का फैसला किया है। कंपनी ने कम्प्यूटर हिस्ट्री म्यूजियम के साथ किए एक विशेष समझौते के तहत इन दोनों प्रोग्राम्स के सोर्स कोड सामने का फैसला किया है।
कम्प्यूटर के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम्स से लोगों को अवगत कराने के लिए म्यूजियम ने यह कदम उठाया है। माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के मैनेजिंग डायरेक्टर रॉय लेविन के मुताबिक डॉस और वर्ड ने तकनीकी इंडस्ट्री में माइक्रोसॉफ्ट की सफलता की नींव रखी थी।
पिछले 25 वर्षों में कम्प्यूटर के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं और आने वाली पीढ़ी को इसके इतिहास से अवगत कराने के उद्देश्य से इन सोर्स कोड को कम्प्यूटर हिस्ट्री म्यूजियम के अभिलेखाकार में जोड़ा गया है।
माइक्रोसॉफ्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वो केवल प्रारंभिक संस्करणों की जानकारी ही सार्वजनिक करेगा। जिसके तहत एमएस डॉस का 1.1 और 2.0 संस्करण तथा विंडोज का माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 1.1ए संस्करण ही है। उसके बाद के किसी भी संस्करण के बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी।
कैसे बना था डॉस
माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार 1980 में आईबीएम ने 'चेस' नाम के प्रोजेक्ट के सिलसिले में कंपनी से संपर्क साधा था। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने सिएटल कम्प्यूटर प्रॉडक्ट्स द्वारा लाइसेस्ंड ऑपरेटिंग सिस्टम लागू किया जो पीसी डॉस और एमएस डॉस की नींव बना। गौरतलब है कि डॉस का आखिरी संस्करण सन 2000 में जारी हुआ था। हालांकि आज भी कई कंपनियां इस प्रोग्राम को इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन ग्राहकों के कम्प्यूटरों के लिए अब यह उपलब्ध नहीं है।
कमांड प्रॉम्प्ट
सीएमडी (कमांड प्रॉम्प्ट) अब भी विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ दिया जा रहा है, लेकिन अब यह महज एक सहायक प्रोग्राम है, जो एमएस डॉस जैसा दिखता है। हालांकि कई यूजर्स इसे एमएस डॉस ही कहते हैं।
1980 का दौर
1980 में एमएस डॉस के जरिये ही माइक्रोसॉफ्ट को पीसी मार्केट में एपल के एकाधिकार को खत्म करने का मौका मिला था। इसके बाद एंटरप्राइस मार्केट में वर्ड की मदद से माइक्रोसॉफ्ट ने जीत हासिल की थी।