Cyber Attack: अब ई-मेल पर साइबर ठगों का अटैक, साइबर सेल ने जारी की एडवाइजरी
साइबर ठग अब ई-मेल के माध्यम से एपीके फाइल भेजकर मोबाइल हैक कर रहे हैं, जिससे ठग बैंक खातों और पे-वालेट से जानकारी चुरा लेते हैं। साइबर सेल ने इस धोखाधड़ी से बचने के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें ठगों से बचने के उपाय दिए गए हैं।
Publish Date: Mon, 03 Mar 2025 08:00:46 PM (IST)
Updated Date: Mon, 03 Mar 2025 08:00:46 PM (IST)
लगातार बढ़ रहा साइबर अटैक का खतरा। (फाइल फोटो)HighLights
- ठग एपीके फाइल भेजकर मोबाइल हैक कर रहे हैं।
- बैंक और सरकारी विभागों के नाम से ई-मेल आते हैं।
- ठग स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स से जानकारी चुरा लेते हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, इंदौर। आजकल साइबर ठगों ने नया तरीका अपनाया है और ई-मेल के माध्यम से लोगों को निशाना बना रहे हैं। वे एपीके (Android Package Kit) फाइल भेज रहे हैं, जिन पर क्लिक करते ही मोबाइल हैक हो जाता है।
इसके बाद ठगों के पास मोबाइल का पूरा नियंत्रण आ जाता है, जिससे वे बैंक खातों और पे-वालेट जैसी महत्वपूर्ण जानकारी चुराते हैं। साइबर सेल ने इस धोखाधड़ी से बचने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है।
ठगों के नए तरीके से बढ़ रही ठगी की घटनाएं
- पहले साइबर ठग व्हाट्सएप, फेसबुक और अन्य मैसेजिंग ऐप्स के जरिए एपीके फाइल भेजते थे, लेकिन अब उन्होंने ई-मेल का रास्ता अपनाया है। खासकर बैंक और सरकारी विभागों के नाम से ठग ई-मेल भेजते हैं, जिससे लोग आसानी से फंस जाते हैं।
ग्वालियर में हाल ही में इस प्रकार के ठगी के मामले सामने आए हैं, जिसमें सरकारी विभागों के कर्मचारियों को भी ठगा गया। यह ठगी इतनी गंभीर हो चुकी है कि पुलिस ने इस पर जागरूकता अभियान भी शुरू किया है। एपीके फाइल के खतरे
एपीके फाइलों के जरिए ठग वायरस भेजते हैं, जिससे मोबाइल का पूरा कंट्रोल ठगों के पास चला जाता है। इसके बाद ठग स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स डाउनलोड करवाकर पूरी जानकारी चुरा सकते हैं, यहां तक कि मोबाइल पर आने वाले एसएमएस भी ठगों तक पहुंच सकते हैं। ठगों का उद्देश्य बैंक खातों और पे-वालेट में सेंध लगाना होता है।
कैसे बचें इस ठगी से
- साइबर एक्सपर्ट चातक वाजपेयी का कहना है कि जब भी बैंक या सरकारी विभाग से कोई ई-मेल आए, तो उसे पहले ध्यान से पढ़ें और ई-मेल एड्रेस की जांच जरूर करें। यदि आपको ई-मेल संदिग्ध लगे, तो किसी भी फाइल पर क्लिक न करें।
- विशेष रूप से एपीके फाइल को डाउनलोड करने से बचें, क्योंकि कोई भी बैंक इस फॉर्मेट में जानकारी साझा नहीं करता।