क्या है Sanchar Saathi ऐप? जिसे लेकर संसद में छिड़ा है घमासान, क्यों सरकार कर रही अनिवार्य, जानें सबकुछ
केंद्र सरकार ने स्मार्टफोन कंपनियों को अगले 90 दिनों के भीतर सभी नए फोन में ‘संचार साथी’ ऐप प्री-इंस्टॉल करने का निर्देश दिया है। पुराने स्मार्टफोन्स ...और पढ़ें
Publish Date: Tue, 02 Dec 2025 03:04:50 PM (IST)Updated Date: Tue, 02 Dec 2025 03:04:50 PM (IST)
क्या है Sanchar Saathi ऐप?HighLights
- संचार साथी एप अनिवार्य नहीं, वैकल्पिक होगा
- साइबर सुरक्षा के लिए जागरूकता जरूरी- सिंधिया
- विपक्ष का जासूसी का आरोप, सरकार का खंडन
टेक्नोलॉजी डेस्क। केंद्र सरकार ने स्मार्टफोन कंपनियों को अगले 90 दिनों के भीतर सभी नए फोन में ‘संचार साथी’ ऐप प्री-इंस्टॉल करने का निर्देश दिया है। पुराने स्मार्टफोन्स में भी इसे सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए जोड़ने के लिए कहा गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम साइबर फ्रॉड और डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। हालांकि, विपक्ष ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए ऐप को “जासूसी टूल” करार दिया है।
क्या है संचार साथी ऐप?
संचार साथी एक सरकारी साइबर सिक्योरिटी ऐप है, जिसे जनवरी 2025 में लॉन्च किया गया था। यह ऐप गूगल प्ले स्टोर और एप्पल ऐप स्टोर पर उपलब्ध है। इसके जरिए यूजर्स साइबर फ्रॉड, कॉल/मैसेज स्कैम, वॉट्सऐप धोखाधड़ी, फोन चोरी जैसे मामलों की रिपोर्ट कर सकते हैं।
Android ऐप में जरूरी परमिशन
- फोन कॉल करना और उन्हें मैनेज करना : फोन में मोबाइल नंबर की पहचान के लिए
- SMS भेजना: ऐप में रजिस्ट्रेशन के लिए DoT को SMS भेजना।
- Call/SMS लॉग: कॉल या एसएमएस को संचार साथी ऐप में रिपोर्ट करने के लिए
- फोटो और फाइल्स: कॉल या एसएमएस की इमेज अपडेट करने, चोरी हुए मोबाइल और दूसरे डॉक्यूमेंट के लिए
- कैमरा: फोन के IMEI नंबर को स्कैन करने के लिए
iOS ऐप में जरूरी परमिशन
- फोटो और फाइल्स : किसी फ्रॉड को रिपोर्ट करने के लिए कॉल-एसएमएस की इमेज या चोरी या खोए फोन की रिपोर्ट करने के लिए
- कैमरा: फोन के IMEI नंबर को स्कैन करने के लिए
ऐप लेकर सरकार की सफाई
- किसी भी यूजर की निजी जानकारी ऑटोमेटिक तरीके से इकट्ठा नहीं करती
- डेटा क्यों मांगा जा रहा है, इसकी पहले से जानकारी देती है
- किसी भी थर्ड पार्टी से डेटा शेयर नहीं करती
- जरूरत होने पर ही डेटा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दिया जाता है
- एप्पल ऐप स्टोर और गूगल प्ले स्टोर पर भी दावा किया गया है कि ऐप डेटा कलेक्ट नहीं करती और किसी के साथ साझा नहीं करती।
क्या इससे जासूसी संभव है?
तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, ऐप की परमिशन वैसी ही हैं जैसी UPI या बैंकिंग ऐप्स उपयोग करती हैं। यह माइक, लोकेशन या सेंसर डेटा नहीं मांगती। इसलिए सीधे तौर पर जासूसी के आरोप तकनीकी रूप से मजबूत नहीं माने जा रहे। हालांकि, कॉल और SMS लॉग तक एक्सेस होने से ऐप आपके संवेदनशील डेटा के करीब जरूर पहुंचती है यही विपक्ष का तर्क है।
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कैसे पहचानें कि कोई ऐप आपकी जासूसी कर रही है?
यदि फोन में कोई ऐप खुले बिना कैमरा या माइक की हरी/नारंगी लाइट ऑन दिख रही है, तो यह संकेत है कि कोई ऐप चुपचाप एक्सेस ले रही है। आधुनिक स्मार्टफोन्स में यह सिक्योरिटी इंडिकेटर अनिवार्य होते हैं। कुल मिलाकर, संचार साथी ऐप को लेकर तकनीकी और राजनीतिक दोनों तरह की बहस छिड़ गई है एक तरफ सरकार इसे सुरक्षा टूल बता रही है, वहीं विपक्ष इसे निगरानी का खतरा मान रहा है।