एजेंसी, गोरखपुर। गोरखपुर में इन दिनों आवारा कुत्तों की आक्रामकता से लोग परेशान हैं। वजह यह है कि पिछले पंद्रह दिनों से एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर बंद पड़ा है।
यहां कुत्तों का बंध्याकरण (स्टरलाइजेशन) और रेबीज रोधी टीकाकरण किया जाता था। लेकिन संचालन कर रही पुरानी फर्म ने 9 सितंबर को काम बंद कर दिया। नई फर्म की नियुक्ति अभी तक नहीं हो सकी है, जिससे स्थिति और बिगड़ गई है।
नगर निगम ने इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी किया था, लेकिन सिर्फ एक फर्म ने रुचि दिखाई। अब निगम ने दूसरी बार आरएफपी जारी किया है और 3 अक्टूबर तक आवेदन मांगे गए हैं। 4 अक्टूबर को बिड खोली जाएगी। जब तक नई फर्म की नियुक्ति नहीं होती, तब तक कुत्तों को पकड़ने और टीकाकरण की प्रक्रिया ठप रहेगी।
पिछले दो हफ्तों में कुत्तों के हमले तेजी से बढ़े हैं। रोजाना 250 से अधिक लोग जिला अस्पताल पहुंचकर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवा रहे हैं। कई इलाकों दाउदपुर, नंदानगर, रूस्तमपुर, अलीनगर, राप्तीनगर और देवरिया बाईपास में रात 11 बजे के बाद कुत्तों के झुंड निकलने से लोगों का आना-जाना भी प्रभावित हो रहा है।
राज्य सरकार ने हाल ही में आदेश जारी किए हैं कि सड़क पर घूमने वाला कोई भी कुत्ता यदि किसी को काटता है, तो नगर निगम उसे 10 दिनों तक एबीसी सेंटर में निगरानी में रखे। इस दौरान उसका बंध्याकरण, रेबीज रोधी टीकाकरण और माइक्रो चिपिंग अनिवार्य है।
अगर कोई चिप लगे कुत्ते द्वारा दोबारा अप्रेरित हमला होता है, तो उसे जीवनभर के लिए सेंटर में ही रखा जाएगा। लेकिन गोरखपुर में इन नियमों पर अमल कब होगा, यह साफ नहीं है।
पशु चिकित्सकों के अनुसार, सितंबर से अक्टूबर के बीच नर कुत्तों का प्रजनन काल होता है। इस दौरान उनमें हार्मोनल बदलाव आते हैं और वे अधिक आक्रामक हो जाते हैं। वहीं, मादा कुत्ते बच्चों को जन्म देने के बाद उनकी सुरक्षा में आक्रामक व्यवहार दिखाती हैं। इसके अलावा, मौसम में बदलाव भी उनकी चिड़चिड़ाहट और हमलावर प्रवृत्ति को बढ़ाता है।