हाई कोर्ट से मिली जमानत, फिर भी जेल से बाहर नहीं आ पाएगा भाजपा का पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर, जानें क्या है कानूनी पेंच
Unnao gang rape case update: उन्नाव गैंगरेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से ...और पढ़ें
Publish Date: Wed, 24 Dec 2025 04:23:08 PM (IST)Updated Date: Wed, 24 Dec 2025 04:35:22 PM (IST)
भाजपा का पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर।HighLights
- उन्नाव गैंगरेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है सेंगर
- दिल्ली हाई कोर्ट से कुलदीप सेंगर को आंशिक राहत मिली है
- पीड़िता ने कहा, वह न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगी
डिजिटल डेस्क। उन्नाव गैंगरेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से आंशिक राहत मिली है। अदालत ने उसकी उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए जमानत मंजूर कर दी है, लेकिन इसके बावजूद सेंगर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाएगा।
जमानत के बाद भी रिहाई क्यों नहीं?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, कुलदीप सिंह सेंगर को दो अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है। पहला, उन्नाव गैंगरेप मामले में, जिसमें उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। दूसरा, पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में भी सेंगर को 10 साल की सजा मिली है।
दिल्ली हाई कोर्ट का ताजा आदेश केवल पहले मामले, यानी उन्नाव गैंगरेप केस तक सीमित है। दूसरे मामले में न तो सजा निलंबित की गई है और न ही जमानत दी गई है। इसी वजह से सेंगर को अभी भी तिहाड़ जेल में रहना होगा।
जमानत की सख्त शर्तें
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने जमानत देते समय कई कड़ी शर्तें तय की हैं। इसमें 15 लाख रुपये का निजी मुचलका और तीन स्थानीय जमानती, पीड़िता के घर से 5 किलोमीटर के दायरे में प्रवेश पर रोक, हर सोमवार सुबह स्थानीय पुलिस स्टेशन में हाजिरी अनिवार्य, पासपोर्ट अदालत में जमा रहेगा और बिना अनुमति दिल्ली या देश छोड़ने की अनुमति नहीं है, शामिल है।
पीड़िता परिवार की प्रतिक्रिया
हाई कोर्ट के इस फैसले से पीड़िता और उसका परिवार आहत है। पीड़िता ने कहा कि वह न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गवाहों और परिवार की सुरक्षा घटा दी गई है तथा गवाहों को जेल में प्रताड़ित किया गया।
कोर्ट का तर्क
दिल्ली हाई कोर्ट ने सजा निलंबित करने का आधार यह बताया कि कुलदीप सिंह सेंगर अब तक लगभग 7 साल 5 महीने जेल में बिता चुका है। अदालत ने कहा कि अपील लंबित रहने के दौरान किसी व्यक्ति को अनिश्चितकाल तक जेल में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन हो सकता है।