
एजेंसी, आगरा। सड़क दुर्घटनाओं की जांच प्रक्रिया जल्द ही बड़े बदलाव से गुजरने वाली है। अभी तक अधिकांश मामलों में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं के तहत चालक की लापरवाही मानकर मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। लेकिन अब यह परंपरा बदलने जा रही है। दिसंबर से जांच में मोटर वाहन अधिनियम (एमवी एक्ट) की धाराएं भी लागू की जाएंगी और यह देखा जाएगा कि हादसा किन कारणों से हुआ - केवल चालक की गलती से या सड़क इंजीनियरिंग की खामियों से।
लखनऊ यातायात मुख्यालय में अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब जांच में सड़क की स्थिति, गड्ढे, डिजाइन की त्रुटियां, साइनेज की कमी और रखरखाव से जुड़े पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा। संबंधित विभागों और ठेकेदारों की जवाबदेही तय की जाएगी, ताकि जांच निष्पक्ष और सटीक हो सके।
आगरा कमिश्नरेट पहले ही इस दिशा में बड़ा कदम उठा चुका है। यहां सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए तीन जोन—पूर्वी, पश्चिमी और सिटी—में कुल 16 ब्लैक स्पॉट को क्रिटिकल कॉरिडोर के रूप में चिन्हित किया गया है। हर कॉरिडोर के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है, जिसमें उप निरीक्षक और पुलिसकर्मी शामिल हैं। ये टीमें हादसों के कारणों की रिपोर्ट तैयार करती हैं और दुर्घटनाएं रोकने के लिए कार्ययोजना बनाती हैं। मुकदमों की विवेचना भी ये टीमें ही करेंगी।
डीसीपी सिटी सोनम कुमार के अनुसार, अब सड़क हादसों की जांच में बीएनएस के साथ एमवी एक्ट की धाराओं का भी उपयोग किया जाएगा। यदि हादसा सड़क पर गड्ढे, गलत डिजाइन या रखरखाव की कमी के कारण हुआ पाया गया, तो संबंधित विभाग और ठेकेदार को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यह नया मॉडल सड़क सुरक्षा को मजबूत करेगा और दुर्घटनाओं के वास्तविक कारणों की पहचान कर प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।