एजेंसी, लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के चिकित्सकों ने एक बार फिर अपनी कुशलता साबित की है। न्यूरोसर्जरी, नेत्र रोग और एनेस्थीसिया विभाग की संयुक्त टीम ने एक बेहद चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर न सिर्फ मरीज की जान बचाई बल्कि उसकी आंख की रोशनी भी सुरक्षित रखी।
दरअसल, सिद्धार्थनगर निवासी ऑटो चालक रामू यादव 3 अगस्त को सड़क हादसे का शिकार हो गए थे। हादसे में ऑटो का नकली शीशा टूटकर बड़ा और नुकीला टुकड़ा बन गया। इनमें से करीब 6 सेंटीमीटर लंबा कांच का टुकड़ा उनकी दाहिनी आंख को चीरते हुए झिल्ली पार कर दिमाग तक धंस गया। यह स्थिति बेहद गंभीर थी क्योंकि ऐसे में ब्रेन फ्लूइड लीक होने का खतरा रहता है, जिससे मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है।
परिवारजन पहले उन्हें सिद्धार्थनगर और गोरखपुर के अस्पतालों में ले गए, लेकिन वहां उचित इलाज नहीं मिला। आखिरकार वे केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। सीटी स्कैन में जब यह स्पष्ट हुआ कि कांच का टुकड़ा दिमाग तक पहुंच गया है, तो तुरंत सर्जरी का निर्णय लिया गया।
करीब साढ़े तीन घंटे चली इस मैराथन सर्जरी में डॉक्टरों ने न सिर्फ मरीज की आंख से शीशा निकाला बल्कि उसकी जान और आंख की रोशनी दोनों बचाने में सफलता हासिल की। सर्जरी टीम में प्रो. अंकुर बजाज, डॉ. मित्रजीत, डॉ. साहिल, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. बृजेश प्रताप सिंह, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. गौतम और डॉ. प्रियंका शामिल रहे।
केजीएमयू प्रवक्ता प्रो. के.के. सिंह ने बताया कि मरीज की सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है और जल्द ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने भी सर्जरी टीम को बधाई दी। जानकारी के मुताबिक, करीब 50 हजार रुपये में पूरा इलाज संभव हो पाया।
यह ऑपरेशन इस बात का उदाहरण है कि गंभीर से गंभीर स्थिति में भी केजीएमयू के डॉक्टरों की विशेषज्ञता और टीमवर्क मरीजों को जीवनदान देने में सक्षम है।