
डिजिटल डेस्क: मथुरा जिले के फरह थाना क्षेत्र में पुलिस की लापरवाही ने एक गंभीर मामला उजागर किया है। यहां दुष्कर्म के आरोपी को पुलिस ने तमंचा रखने के आरोप में जेल भेज दिया। मामले के सामने आने के बाद एसएसपी श्लोक कुमार ने टोल चौकी प्रभारी अनिरुद्ध कुमार और दारोगा सतीश को निलंबित कर दिया है, जबकि फरह थाना प्रभारी और एक अन्य दारोगा पर जांच जारी है।
फरह थाना क्षेत्र के एक गांव के निवासी व्यक्ति ने सोमवार को एसएसपी श्लोक कुमार को एक प्रार्थना-पत्र दिया। पत्र में बताया गया कि 22 सितंबर को उनकी आठ वर्षीय बेटी घर के बाहर सहेलियों के साथ खेल रही थी। तभी आरोपी योगेश ने सहेलियों को सामान लाने भेज दिया और बच्ची को घर के अंदर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। जब पीड़ित परिवार ने शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, तो आरोपी पक्ष ने राजीनामा करने का दबाव बनाया।
पीड़ित पिता के अनुसार, उन्होंने घटना के बाद थाने और चौकी के कई चक्कर लगाए, लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। 13 अक्टूबर को टोल चौकी प्रभारी अनिरुद्ध कुमार और दारोगा सतीश ने उन्हें चौकी बुलाकर प्रार्थना-पत्र मांगा। अगले दिन यानी 14 अक्टूबर को पुलिस ने आरोपी योगेश को तमंचा रखने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।
पीड़ित पिता ने जब मुकदमे की कॉपी मांगी, तो पुलिस ने उन्हें 12 दिन तक गुमराह किया। बाद में पता चला कि आरोपी योगेश को 14 अक्टूबर को तमंचा केस में जेल भेजा गया था और वह 27 अक्टूबर को जमानत पर रिहा भी हो गया। इस पर पिता को संदेह हुआ और उन्होंने पूरे मामले की जानकारी जुटाकर एसएसपी से शिकायत की।
एसएसपी श्लोक कुमार ने शिकायत को गंभीरता से लिया और सीओ साइबर गुंजन सिंह को जांच के लिए फरह थाना भेजा। जांच में चौकी प्रभारी और दारोगा की गंभीर लापरवाही सामने आई। रिपोर्ट मिलने के बाद एसएसपी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
इसके बाद फरह पुलिस ने आरोपी योगेश के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया। देर रात उसे वृंदावन स्थित रॉयल भारतीय होटल से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने पीड़िता का चिकित्सीय परीक्षण कराकर बयान दर्ज किए।
सीओ साइबर गुंजन सिंह ने एक दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी। एसएसपी श्लोक कुमार ने कहा कि निलंबित अधिकारियों पर कार्रवाई नियमानुसार की जा रही है। साथ ही फरह थाना प्रभारी और एक अन्य दारोगा की भूमिका की भी जांच जारी है।
बताया जा रहा है कि सनातन एकता पदयात्रा के बाद इस मामले में और भी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो सकती है। यह मामला पुलिस की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है, जिसमें एक दुष्कर्म पीड़िता को न्याय दिलाने में देरी हुई और आरोपी को गलत मुकदमे में जेल भेजकर बचाने की कोशिश की गई।