डिजिटल डेस्क। लखनऊ में कभी 65 एकड़ क्षेत्रफल में फैला और लगभग 30 फीट ऊंचा कूड़े का पहाड़ आज 'राष्ट्र प्रेरणा स्थल' के रूप में देशभक्ति और प्रेरणा का प्रतीक बन चुका है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरदोई रोड स्थित बसंतकुंज के पास बने इस भव्य राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण किया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री एवं लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहे।
जहां एक पल ठहरना भी था मुश्किल
यह वही स्थान है, जहां कभी कूड़े के ढेर से उठती दुर्गंध के कारण एक सेकेंड भी खड़ा होना मुश्किल था। सड़क से गुजरने वाले लोगों को लगभग एक किलोमीटर पहले ही नाक बंद करनी पड़ती थी, कारों के शीशे तक बंद रखने पड़ते थे।
यहां प्रतिदिन शहर के विभिन्न इलाकों से करीब 1200 मीट्रिक टन कूड़ा लाया जाता था। समय के साथ यह स्थान 'घैला का कूड़ा स्थल' के नाम से कुख्यात हो गया था। घैला गांव की यह जमीन पूरे क्षेत्र के लिए पर्यावरणीय संकट बन चुकी थी।
बदली तस्वीर: दुर्गंध की जगह अब प्रेरणा
आज उसी स्थान पर बना 'राष्ट्र प्रेरणा स्थल' भारतीय राष्ट्रवाद की त्रयी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों और योगदान को समर्पित एक अनुपम परिसर है।
कमल की आकृति में निर्मित इस स्थल में तीनों राष्ट्रनायकों की 65-65 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जिनका निर्माण विश्वविख्यात मूर्तिकार राम सुतार एवं मातू राम आर्ट क्रिएशंस द्वारा किया गया है।
राष्ट्रनायकों को समर्पित संग्रहालय भी बनाया गया
परिसर में राष्ट्रनायकों को समर्पित संग्रहालय भी बनाया गया है, जहां इंटरप्रिटेशन वॉल पर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता सेनानियों की गाथा म्यूरल आर्ट के माध्यम से प्रस्तुत की गई है। संग्रहालय के आंगन में राष्ट्रीय भावना की प्रतीक भारत माता की प्रतिमा स्थापित है। समर्पित गैलरियों में राष्ट्रनायकों के जीवन, विचार और संघर्षों को जीवंत रूप में दर्शाया गया है।
विशाल रैली स्थल भी विकसित किया गया
इसके अतिरिक्त परिसर में सिंथेटिक ट्रैक, मेडिटेशन सेंटर, विपश्यना केंद्र, योग केंद्र, हेलीपैड, कैफेटेरिया, 3000 दर्शक क्षमता वाला एम्फीथिएटर तथा लगभग दो लाख लोगों की क्षमता वाला विशाल रैली स्थल भी विकसित किया गया है। यह स्थल न केवल ऐतिहासिक स्मृति का केंद्र है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों में राष्ट्रभावना के संचार का माध्यम भी बनेगा।
अर्बन प्लानिंग की मिसाल
यह परियोजना शहरी कूड़ा प्रबंधन और अर्बन प्लानिंग का एक अनुकरणीय उदाहरण है। करीब छह लाख मीट्रिक टन कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से उपचार कर भूमि को खाली कराया गया। इससे तैयार मिट्टी और खाद (करीब 4.80 लाख टन) का उपयोग खेतों की भराई में किया गया, जिससे किसानों को भी लाभ मिला।
कूड़े से निकली लगभग 15 प्रतिशत पॉलिथीन
कूड़े से निकली लगभग 15 प्रतिशत पॉलिथीन मेरठ की विजेंद्र एनर्जी कंपनी को दी गई, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन में किया गया। उल्लेखनीय है कि 1990 से 1997 के बीच यहां जमा कूड़े में अक्सर आग लग जाती थी, जिससे मीथेन गैस के कारण धुएं और आग की लपटें दिखाई देती थीं। बारिश के मौसम में दुर्गंध दूर-दूर तक फैल जाती थी, जिससे आसपास के लोग सांस संबंधी बीमारियों से ग्रसित हो गए थे।
1997 के बाद यहां कूड़ा डालना बंद हो गया था
हालांकि 1997 के बाद यहां कूड़ा डालना बंद कर दिया गया था, लेकिन कूड़े का पहाड़ वर्षों तक शहर के लिए अभिशाप बना रहा। वर्ष 2020 में शासन ने इसे पूरी तरह समाप्त करने का निर्णय लिया और जलनिगम की कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज (C&DS) को कार्यदायी संस्था नियुक्त किया गया।
2021 में वैश्विक टेंडर के माध्यम से यह कार्य लखनऊ की मुस्कान संस्था को 13 करोड़ रुपये में सौंपा गया। मशीनों द्वारा कूड़े की छनाई कर तीन वर्षों में लगभग 80 प्रतिशत मिट्टी को अलग कर विभिन्न भराई कार्यों में उपयोग किया गया।
नगर निगम के अपर नगर आयुक्त डॉ. अरविंद राव के अनुसार, घैला का कूड़े का पहाड़ शहर पर एक दाग था, जिसे मिटा दिया गया है। इसी अनुभव से सीख लेकर नगर निगम ने मोहान रोड स्थित शिवरी में जमा करीब 20 लाख मीट्रिक टन कूड़े में से 10 लाख मीट्रिक टन का उपचार कर लिया है और यह कार्य लगातार जारी है।