नईदुनिया, यूपी डेस्क (UP Village Story)। लोगों को अपना गांव खूब पसंद आता है। आप भले ही शहर में रहो लेकिन अपने मूल गांव का नाम लेना और सबको बताने में खुशी होती है। लेकिन भारत के कई ऐसे लोग है जिन्हें अपने गांव का नाम सबके सामने बताने में शर्म आती है। कुछ ऐसे नाम को सरकार या किसी की पहल से बदला भी जाता है। एक ऐसे ही गांव की कहानी का आज जिक्र करेंगे जहां की महिलाएं नाम लेने में शर्माती जरुर है लेकिन गांव के कुछ लोगों को गर्व भी होता है। आइए जानते है आखिर उत्तर प्रदेश के किस गंव की यह कहानी है...
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में एक गांव में एक ऐसा नाम है जिसको सुनते ही कई लोगों की हंसी निकल जाती है। हम बात कर रहे हैं सुल्तानपुर जिले के भदैंया ब्लॉक में आने वाले बालमपुर गांव की। ऐसा नहीं है कि यह गांव केवल अपने नाम की वजह से चर्चा में रहता है बल्कि यहां काम भी ऐसे हुए है जो बहुत ही खास है।
इतिहास की बात करें तो इस गांव के लोगों ने बताया है कि पहले तीन भाई हुआ करते थे। तीनों का नाम पूरन, बालम और महेश था। जिस गांव में पहला भाई पूरन गए वह पूरनपुर बन गया, जिस गांव में महेश जाकर बसे उसे महेशुआ के नाम से जाना जाने लगा और जहां बालम गए उसे लोग बालमपुर कहने। साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव का नाम सुन लोग खूब मजाक बनाते है।
पहले उन्हें इस बात से फर्क पड़ता था मगर अब आदत पड़ गई है। इस कारण से अब लोगों के मजाक बनाने पर भी उन्हें बुरा नहीं लगता है। ग्रामीणों ने यह भी जिक्र किया कि जब महिलाएं ससुराल जाती हैं तो शर्म की वजह से अपने गांव का नाम नहीं बताती, बल्कि इस गांव से सटे हुए प्रतापगंज बाजार का नाम ले लेती है। हालांकि, नाम बदलवाने की मांग को लेकर भी इस गांव के लोगों का स्पष्ट मत है कि हमारे पुरखों ने इस धरती पर अपना पूरा जीवन बिताया। इसलिए यह पुरखों की धरोहर है। साथ ही कई गांव वाले बालमपुर गांव के नाम पर गर्व महसूस करते हैं।
जानकारी हो कि यह गांव उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में स्थित है। सुल्तानपुर मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर दुर्गापुर बाजार से थोड़ी दूर पर भदैयां ब्लॉक है। इसी ब्लॉक में यह गांव स्थित है। बता दें कि यह कोई अकेला गांव नहीं है जहां के लोगों को यह सब झेलना पड़ता है, कई और गांव के नाम भी ऐसे है जिन्हें बताने से लोग कतराते है। हालांकि, कई बार ऐसे नाम बदले भी गए है।