
डिजिटल डेस्क: वाराणसी इन दिनों कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के आगोश में है। ऊपरी क्षोभ मंडल में बहने वाली उष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम के प्रभाव से वाराणसी का अधिकतम तापमान सामान्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया है, जिससे यह उत्तर प्रदेश का सबसे ठंडा शहर बन गया है। स्थिति यह है कि ठंड के मामले में काशी ने शिमला और मनाली जैसे पहाड़ी इलाकों को भी पीछे छोड़ दिया है। सूर्य देव के दर्शन न होने से जनजीवन पूरी तरह ठिठुर गया है।
धर्म नगरी काशी और आसपास के पूर्वांचल इलाकों में कुदरत का दोहरा कहर देखने को मिल रहा है। गुरुवार को घने कोहरे और शीतलहर ने पिछले 6 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिससे यह दिन 'अत्यधिक शीत दिवस' (Severe Cold Day) के रूप में दर्ज हुआ। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तर भारत से गुजर रही उष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम ने वातावरण में नमी और धुंध की ऐसी परत बिछाई कि सूर्य की किरणें जमीन तक नहीं पहुंच सकीं।
इस मौसमी बदलाव का सबसे बड़ा असर यातायात पर पड़ा है। दृश्यता शून्य के करीब पहुंचने से वाराणसी हवाई अड्डे पर 14 उड़ानें निरस्त करनी पड़ीं और एक विमान को डायवर्ट किया गया। रेल यातायात भी बुरी तरह प्रभावित रहा, जहाँ एक दर्जन से अधिक ट्रेनें 12 घंटे तक की देरी से चल रही हैं। सड़कों पर वाहनों की रफ्तार थम गई है और लोग अलाव का सहारा लेने को मजबूर हैं। आंकड़ों के मुताबिक, बनारस वर्तमान में देश का 10वां सबसे ठंडा शहर बना हुआ है।