एजेंसी, मथुरा। 12 वर्षीय दलित बच्ची की दुष्कर्म कर हत्या कर दी गई थी। एडीजे द्वितीय अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ब्रिजेश कुमार ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। उस पर 3 लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। मामला नवंबर 2020 का है। दुष्कर्मी तभी से ही जेल में बंद है।
मामला 26 नवंबर 2020 का है। वृंदावन क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली आठ वर्षीय बच्ची 26 नवंबर की शाम को लकड़ी लेने के लिए पास के ही जंगल गई थी, लेकिन वह देर तक घर नहीं पहुंची। घबराए परिजनों ने उसको खोजना शुरू किया, लेकिन कुछ पता नहीं चला।
पिता ने वृंदावन थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने बच्ची को खोजने के लिए तलाशी अभियान चलाया। 27 नवंबर को सुनरख के जंगल में एक नाले के पास उसका शव मिला। परिजनों का बच्ची को देखकर कलेजा बाहर आ गया। पोस्टमॉर्टम में खुलासा हुआ कि बच्ची की दुष्कर्म कर गला दबाकर हत्या की गई है।
घटना के महज दो दिन बाद 28 नवंबर 2020 को पुलिस ने आरोपी महेश उर्फ मसुआ निवासी ग्राम तरौली सुमाली थाना छापा को गिरफ्तार कर लिया। उसको एडीजे द्वितीय अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट ब्रिजेश कुमार की अदालत में पेश किया। शासन की तरफ से मुकदमे की पैरवी सहायक शासकीय अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी व विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट रामपाल सिंह ने की।
पौने पांच साल बाद बेटी को न्याय मिलने के बाद मां की आंखों से आंसू निकल आए। उन्होंने कहा कि मेरी आर्थिक स्थिति काफी खराब है, इसलिए बेटी के मुकदमे की पैरवी नहीं कर पाई। मैं आज फैसला सुनने के लिए कोर्ट भी जा पाई थी।
इस घटना के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। पति की सेहत खराब हो गई थी। वह यही सोचते रहते थे कि उनकी बेटी किस दर्द से गुजरी होगी। वह महज आठ साल की थी। इसी तनाव में उनकी 2022 में मौत हो गई। आज अदालत के फैसले के बाद मेरी बेटी व पति की आत्मा को शांति मिली होगी।
बेटी कक्षा दो में पढ़ती थी। वह पढ़ाई में होशियार थी। उन्होंने बताया कि इस वारदात की वजह से उनका पूरा जीवन तबाह हो गया। पति का साया ऊपर से उठ गया। वह इकलौते कमाने वाले थे। मेरे दो छोटे बच्चे हैं। एक बच्ची है, जो कक्षा तीन में पढ़ती है। एक बच्चा, जो अभी एलकेजी में आया है। घर में एक कमरे को किराए से देकर रोजी-रोटी चल रही है।